Bokaro: भारतीय डाक सेवा को जनहित में फिर से सुचारु करने और उसकी पारंपरिक, जनोपयोगी सेवाओं को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन ने जिला के मुख्य डाकघर के समक्ष धरना प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन के प्रदेश अध्यक्ष देव कुमार त्रिवेदी ने की। धरना के दौरान संगठन के सदस्यों ने डाकपाल को एक ज्ञापन सौंपा। जिसे केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम प्रेषित किया गया है। ज्ञापन में भारतीय डाक सेवा की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसे पुनर्जीवित करने की मांग की गई है।
भारतीय डाक सेवा की गिरती स्थिति पर जताई चिंताः
संगठन ने ज्ञापन में कहा है कि भारतीय डाक सेवा, जो कभी देश की जीवनरेखा और भावनाओं का संवाहक मानी जाती थी, आज उपेक्षा और उपभोगवाद की शिकार हो चुकी है। देश के दूरदराज इलाकों में सूचना और भावनाओं के आदान-प्रदान का माध्यम रही यह सेवा अब डिजिटल युग में धीरे-धीरे समाप्ति की ओर बढ़ रही है। संगठन ने कहा कि कई पारंपरिक और आम जनता के लिए उपयोगी सेवाएं —रजिस्ट्री पोस्ट, पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र, और अंडर पोस्टल सर्टिफिकेट (UPC) या तो पूरी तरह बंद कर दी गई हैं या इतनी महंगी कर दी गई हैं कि गरीब और मध्यम वर्ग के लिए इनका उपयोग लगभग असंभव हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि डाकिया सिर्फ संदेशवाहक नहीं, संवेदना का प्रतीक था।
धरना स्थल पर उपस्थित प्रदेश अध्यक्ष देव कुमार त्रिवेदी ने कहा कि 1774 में शुरू हुई भारतीय डाक सेवा केवल संचार का माध्यम नहीं थी, बल्कि यह भावनाओं और संबंधों की डोर थी। गांव से शहर और देश से विदेश तक रिश्तों में नजदीकी का एहसास पहुंचाने का कार्य डाकिया करता था। आज यह परंपरा टूटती जा रही है और डाक विभाग अपने मूल स्वरूप से भटक गया है।
उन्होंने कहा कि आज के युग में डिजिटल माध्यमों के प्रसार के बावजूद, देश के लाखों ऐसे नागरिक हैं जो अब भी पत्राचार और डाक सेवाओं पर निर्भर हैं। ऐसे में इन सेवाओं का कमजोर होना जनसंपर्क और ग्रामीण भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
संगठन ने रखीं ये प्रमुख मांगेंः
अखिल भारतीय उपभोक्ता उत्थान संगठन ने सरकार से डाक सेवा को पुनः सशक्त बनाने के लिए प्रमुख मांगें रखी हैं —
- रजिस्ट्री पोस्ट सेवा को न्यूनतम शुल्क पर पुनः शुरू किया जाए, ताकि आम नागरिक फिर से इस सेवा का लाभ उठा सकें।
- अंडर पोस्टल सर्टिफिकेट (UPC) सेवा को गरीब जनता के लिए फिर से लागू किया जाए।
- पोस्टकार्ड और अंतर्देशीय पत्र सेवा को भावनात्मक जुड़ाव और भारतीय परंपरा के प्रतीक के रूप में पुनर्जीवित किया जाए।
- डाक सेवाओं में आधार, OTP या पहचान पत्र की अनिवार्यता समाप्त की जाए, ताकि ग्रामीण और बुजुर्ग लोग बिना परेशानी इन सेवाओं का लाभ ले सकें।
डाक कर्मियों को सम्मान मिले, न कि बोझः
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि जहां कई देशों में “बॉक्स डे” जैसे अवसरों पर डाक कर्मियों को सम्मानित किया जाता है, वहीं भारत में डाक सेवाएं महंगी दरों, तकनीकी जटिलताओं और निजीकरण की नीतियों के कारण अपनी चमक खो रही हैं। भारतीय डाक सेवा केवल एक विभाग नहीं, बल्कि भारत के सामाजिक ताने-बाने का हिस्सा है। सरकार को इसे सिर्फ राजस्व का माध्यम नहीं, बल्कि जनसेवा का प्रतीक मानना चाहिए।
सरकार से अपीलः
संगठन ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह भारतीय डाक सेवा की पुरानी जनोपयोगी योजनाओं को फिर से शुरू करे, ग्रामीण डाकघरों को मजबूत बनाए और डाक विभाग में मानव संसाधन एवं तकनीकी सुधार लाकर इसे देश के हर नागरिक तक पहुंचाए।
रिपोर्टः चुमन कुमार
Highlights




































