पटना: बिहार में शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब से लोगों के मौत मामले में राजनीति अभी थमा नहीं है। बिहार में राजनीति लगातार जारी है। शराबबंदी पर लालू यादव के बयानों पर पलटवार करते हुए BJP MP जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि लालू यादव खुद जंगलराज के पुरोधा रहे हैं, उन्हें बिहार के सुशासन और कानून व्यवस्था पर कुछ भी बोलने का हक़ नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में शराबबंदी की समीक्षा करने की मांग करते हुए पुलिस पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया और कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस अधिकारी के ऊपर भी कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्हें बोलने का अधिकार नहीं
भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि राज्य में सुशासन या कानून व्यवस्था पर बोलने का उन्हें अधिकार नहीं है। वे जंगलराज से निकले हुए लोग हैं। राज्य के लोगों को बताने की जरूरत नहीं है कि उन्होंने क्या झेला है। एक समय था जब राज्य में कहीं भी लोग सुरक्षित नहीं थे। आम लोग क्या नेता, मंत्री, पत्रकार, डॉक्टर कोई भी सुरक्षित नहीं थे। राज्य में खुलेआम आपराधिक वारदात होते थे। अब बिहार विकास के मार्ग पर अग्रसर है और लगातार विकास कर रहा है। अब उनके शासनकाल वाला बात नहीं है बिहार में।
शराबबंदी से खुश हैं लोग
भाजपा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि राज्य में जब शराब बिकता था उस वक्त लोग दिन भर काम करते थे और शाम में सारा पैसा का शराब पी कर खाली हाथ लौट जाते थे। जहां तहाँ सड़क पर गिर जाते थे। जहां तहाँ हल्ला हंगामा करते थे, घर में उनके शांति नहीं होती थी। लेकिन राज्य में शराबबंदी के बाद अब लोग कमाते हैं तो पैसा लेकर घर जाते हैं। उनके पास पैसा है तो वे अच्छे से रहते हैं, उनके बच्चे स्कूल जाते हैं। शराबबंदी बहुत ही बेहतर कदम है बस इसमें कुछ समीक्षा की जरूरत है।
थाना की मिलीभगत से होता है शराब कारोबार
सारण में बार बार जहरीली शराब कांड मामले के एक सवाल पर सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने कहा कि मैं पहले भी कहा है और अब भी कह रहा हूं शराबबंदी कानून में अब भी समीक्षा की जरूरत है। खास कर अगर छपरा सिवान की बात करें तो उसका बॉर्डर पड़ोसी राज्य से लगता है जहां शराबबंदी नहीं है। इसलिए बॉर्डर पर और बॉर्डर इलाकों में कड़ाई करने की जरूरत है।
भाजपा सांसद ने माना कि बिहार में अभी भी शराब मिल रहा है और उन्होंने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर अब भी राज्य में कहीं शराब मिल रहा है तो निश्चित रूप से स्थानीय थाना की पुलिस की मिलीभगत है इसमें। बिना पुलिस की मिलीभगत के कहीं भी शराब कारोबार नहीं हो सकता है। इसलिए शराबबंदी कानून में समीक्षा कर यह प्रावधान लाना चाहिए कि कहीं भी शराब मिलने पर उस क्षेत्र के थानाध्यक्ष को न सिर्फ निलंबित करना चाहिए बल्कि उनके विरुद्ध जो सख्त से सख्त से कार्रवाई हो सके करना चाहिए।
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पटना से विवेक रंजन की रिपोर्ट
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