डिजीटल डेस्क : Breaking – महिला उत्पीड़न रोकने को डेडीकेटेड पुलिस टीम जरूरी –उज्जवल निकम, कोलकाता और महाराष्ट्र की घटनाओं पर बोले मशहूर सरकारी वकील। महाराष्ट्र में महिला उत्पीड़न से संबंधित शक्ति मिल मामले में आरोपियों को मृत्युदंड की सजा दिलवा चुके देश के मशहूर वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने कोलकाता रेप और मर्डर मामले से लेकर बदलापुर यौन शोषण पर चिंता जाहिर की है।
आतंकी अजमल कसाब को भी फांसी दिलाने वाले वकील उज्ज्वल निकम का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए महिला उत्पीड़न की रोकथाम और इस संबंधी मामलों की जांच को एक समर्पित (डेडीकेटेड) पुलिस टीम का होना जरूरी है जो सही और गलत का तर्कसम्मत विश्लेषण का यथाशीघ्र सच्चाई तक पहुंचे और दोषी को चिन्हित कर उसके लिए कानूनी धाराओं में दंडित कराने का पुख्ता आवेदन कोर्ट के समक्ष पेश कर सके।
उज्जल निकम बोले – संस्कारों की कमी ऐसी घटनाओं के पीछे एक बड़ी वजह
पद्मश्री उज्जवल निकम ने एक राष्ट्रीय हिंदी दैनिक को दिए साक्षात्कार में इस बारे में अपनी राय खुलकर रखी है। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर चिंता जाहिर की है। कहा कि ‘यौन उत्पीड़न की इस प्रकार की बढ़ती घटनाओं के पीछे कारण तो कई हैं। लोगों में कानून का डर खत्म सा हो गया है, ये तो है ही।
लेकिन इसी के साथ सामाजिक जिम्मदारिया जिन्हें हम संस्कार कहते हैं, उनका ह्रास होना भी ऐसी घटनाओं के पीछे एक बड़ा कारण है। आज अच्छा क्या है और बुरा क्या है, इसे समझानेवाली लक्ष्मण रेखा मिट सी गई लगती है।
चूंकि मैं कानून का व्यक्ति हूं, तो पहले कानून की ही बात करूंगा। कानून सख्त भी किए गए हैं। लेकिन कानूनी लड़ाई में सबूत का सवाल सबसे अहम होता है। मैं ये नहीं कहूंगा कि किसी पर आरोप लगा तो उसे फांसी या आजीवन कारावास हो ही जाना चाहिए। लेकिन आरोप लगा है तो उसकी जड़ तक जाना चाहिए’।
उज्जवल निकम बोले – दुष्कर्म के मामले में कत्तई ना हो राजनीति, यह होना शर्मनाक
वरिष्ठ अधिवक्ता उज्जवल निकम ने दुष्कर्म या गैंगरेप सरीखे मामले में सियासी रोटी सेंके जाने पर भी गंभीर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है कि हमारे देश में दुर्भाग्य से कई बार ऐसे मामले में राजनीति भी की जाती है। यदि उस मामले में हो रही राजनीति को मीडिया की सुर्खियां भी मिलने लग जाएं, तो लोग उसे गंभीरता से नहीं लेते।
ऐसे मामलों में राजनीति करके लोगों के मन में शक पैदा किया जाता है। तब लोग सोचने पर बाध्य हो जाते हैं कि क्या सचमुच ये अभियुक्त है? इस तरह के मामलों में जिनकी जिम्मेदारी रहती है कानून-व्यवस्था संभालने की, जब वही मामले को हवा देने लग जाते हैं तो स्थिति बिगड़ जाती है।
वैसी स्थिति में पीड़ित को न्याय मिलना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने दो टूक कहा कि ऐसे मामलों में राजनीति होना बड़ी शर्मनाक बात है।
पद्मश्री निकम बोले – दुष्कर्म जैसे मामलों की जांच को बने विशेष पुलिस टीम
दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं और कानूनी तौर पर उनके सही और त्वरित निस्तारण को लेकर पद्मश्री अधिवक्ता उज्जल निकम ने इसी साक्षात्कार में आगे कहा है कि देश भर में इस तरह की बढ़ती घटनाओं को देखते पुलिस थानों में ऐसी घटनाओं की पड़ताल के लिए एक विशेष टीम होनी चाहिए।
हर पुलिस थाने में ऐसी टीम तैयार करना संभव न हो तो तीन-तीन या चार-चार पुलिस थानों के बीच तो ऐसी एक टीम गठित की ही जानी चाहिए जो इस तरह के मामलों के लिए ही प्रशिक्षित रहे।
उन टीमों को फोरेंसिक विज्ञान का भी प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि उन तीन-चार पुलिस थानों के बीच होनेवाली महिला उत्पीड़न की किसी भी घटना के बाद सामान्य पुलिस टीम के बजाय यही टीम वहां पहुंचे और सारे सबूत इकट्ठा करे। इससे समय पर सबूत इकट्ठे हो सकेंगे और समय पर केस की प्राथमिकी दर्ज हो सकेगी।
फोरेंसिक जांच जितना साइंटिफिक होगा, दोषी को सजा दिलवाने में उतनी ही मदद मिलेगी। इस मामले में पुलिस की ट्रेनिंग भी अपेक्षित है। उन्हें साइंटिफिक तरीके से सुबूत जुटाने की तरकीब बताई जाए।
यदि इस प्रकार की व्यवस्था स्थापित हो सके तो निश्चित रूप से इसका लाभ केस के ट्रायल के समय मिलेगा और फैसले जल्दी हो सकेंगे। उसी कड़ी में उन सभी के ऊपर एक वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी भी होना चाहिए जो निर्धारित समयावधि में अपने क्षेत्र में हुई घटनाओं की समीक्षा करता रहे और आवश्यक दिशा-निर्देश भी देता रहे।
जब तक हम किसी को इस प्रकार की जिम्मेदारी नहीं देंगे,हमें अच्छे परिणाम मिलने मुश्किल होंगे क्योंकि पुलिस की प्राथमिकताएं भिन्न-भिन्न हैं।
कानून-व्यवस्था, रोज का बंदोबस्त, छोटे-मोटे अपराध, ऐसे कामों के बीच में यदि महिला उत्पीड़न की जांच भी उसी टीम को सौंप दी जाती है,तो उसका सही परिणाम नहीं मिल सकता।
इसमें एक बात का ध्यान और दिया जाना चाहिए कि महिला उत्पीड़न के मामलों में कोई व्यक्ति गलत न फंसाया जाए।
महाराष्ट्र सरकार बदलापुर यौन उत्पीड़न केस में पद्मश्री निकम को बनाया अपना वकील
मशहूर वकील पद्मश्री उज्ज्वल निकम लोक अभियोजक (पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) के रूप में अपने द्वारा लड़े गए कई विख्यात मुकदमों के लिए जाने जाते हैं।
करीब 31 साल पहले मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले से विशेष लोक अभियोजक (पीपी) का सफर शुरू करने वाले निकम ने उसके बाद 26/11 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले के मामले में भी पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब को फांसी के तख्ते तक पहुंचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके अलावा महिला उत्पीड़न से संबंधित शक्ति मिल मामले में वह आरोपितों को मृत्युदंड की सजा दिलवा चुके हैं। अब तक उनके द्वारा विभिन्न मामलों में 35 से अधिक मृत्युदंड एवं 450 से अधिक आजीवन कारावास की सजाएं दिलवाई जा चुकी हैं।
महाराष्ट्र में कोई संगीन अपराध होने पर आम जनता की ओर से उन्हें पीपी नियुक्त करने की मांग की जाती है और जुलूस तक निकाले जाते हैं। महाराष्ट्र के ताजा बदलापुर यौन उत्पीड़न कांड में भी वहां की सरकार ने निकम को ही फास्ट ट्रैक कोर्ट में पीड़ित पक्ष की पैरवी की जिम्मेदारी सौंपी है।