डिजीटल डेस्क : Breaking – आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को ममता का बुलावा, पौने 8 बजे से बैठक। RG Kar मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बीते 9 अगस्त को मेडिकल छात्रा के रेप और मर्डर की घटना के बाद से लगातार सवालों में घिरी राज्य की सत्तारूढ़ ममता बनर्जी सरकार फिर से आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों के प्रति नरम पड़ी है।
धर्मतल्ला में बीते शनिवार से अपने 10 सूत्रीय मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल को ममता बनर्जी सरकार ने बुधवार रात पौने 8 बजे ही सीधी बातचीत के लिए बुलाया है। इसके लिए ई-मेल से जानकारी दी गई है।
ममता सरकार ने ई-मेल में ये बातें कहीं….
आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों को भेजे गए ई-मेल में ममता बनर्जी सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बैठक में जूनियर डॉक्टरों की ओर से 10 प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं।
राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव मनोज पंत ने यह ई-मेल भेजा है। मनोज पंत ने लिखा है कि बैठक साल्टलेक स्थित स्वास्थ्य भवन में होगी।
बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव स्तर के भी अधिकारी शामिल होंगे लेकिन बैठक की अध्यक्षता खुद मुख्य सचिव मनोज पंत ही करेंगे।
माना जा रहा है कि मुख्य सचिव के मार्फत मुख्यमंत्री सीधे जूनियर डॉक्टरों से उनकी मांगों के संबंध में वार्ता कर सकारात्मक पहल करते हुए अनशन कराना चाह रही हैं।


सीनियर डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफा जारी रहने से दबाव में ममता बनर्जी सरकार
RG Kar मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुद्दे पर लगातार आंदोलनरत जूनियर डॉक्टरों की ओर से बीते शनिवार को आमरण अनशन शुरू करने के बाद से ही सीनियर डॉक्टरों में भी सरकार के अड़ियल रुख पर नाराजगी देखी जा रही है।
पहले RG Kar मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 50 सीनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया। उसके बाद नेशनल मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टरों ने अपना सामूहिक इस्तीफा सरकार को सौंपा।
बुधवार को नील रतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भी 34 सीनियर डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया। इस बीच RG Kar मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जूनियर डॉक्टर अनिकेत महतो ने भी आमरण अनशन में शामिल होने घोषणा कर दी तो आमरण अनशन कर रहे जूनियर डॉक्टरों की कुल संख्या 7 हो गई।
सीनियर डॉक्टरों ने कहा कि आमरण अनशन किसी भी आंदोलन का आखिरी हथियार होता है और अब तक अपनी मांगों को लेकर आंदोलन के क्रम में अजीज आकर ही जूनियर डॉक्टरों ने आंदोलन का आखिरी अस्त्र इस्तेमाल किया है। ऐसे में उनके साथ खड़ा होना पेशगत नैतिकता और समय की मांग भी है।
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