यहां होता है बाल विवाह, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने जारी किया रिपोर्ट

पलामू : भारत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. वहीं देश के आकांक्षी जिलों में शामिल पलामू के इलाके में बड़े पैमाने पर बाल विवाह हो रही है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के द्वारा जारी रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पलामू में 100 में से 35 लड़कियों की शादी 18 से कम उम्र में हो रही है.

ग्रामीण ही नहीं शहर में भी होती है शादियां

पलामू में यह हालात शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी है. लड़कियों की शादी को लेकर सरकार कई स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम भी चला रही है. लेकिन बड़ी संख्या में लोग बाल विवाह कर रहे हैं.

इन इलाकों से मामले आए सामने

बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई के लिए कई स्तर पर टीम गठित की गई है. पिछले एक साल में पलामू जिला प्रशासन ने एक दर्जन से अधिक बाल विवाह को रोका है. पलामू के सतबरवा, चैनपुर, पांकी, हुसैनाबाद, हरिहरगंज, छतरपुर, विश्रामपुर, रामगढ़, मनातू के इलाकों में बाल विवाह के अधिकतर मामले सामने आए हैं. कई मामलों में नाबालिग ने खुद सीडब्ल्यूसी, चाइल्ड लाइन या थाना को सूचना दी है.

डराने वाले हैं नेशनल हेल्थ सर्वे के आंकड़े

पलामू में नेशनल हेल्थ सर्वे के आंकड़े काफी डराने वाले हैं. बाल विवाह को रोकने के लिए कई स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिले में हर स्कूल में परिवार एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा लड़कियों के बाल विवाह के बारे में जानकारी दी जा रही है. समाज कल्याण विभाग में संरक्षण पदाधिकारी केडी पासवान ने बताया कि बाल विवाह समाज के लिए कुरूप चेहरा है. इसे रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन इसमें आम लोगों को भी सहयोग करना पड़ेगा. चाइल्ड लाइन के उमेश कुमार बताते हैं कि बाल विवाह के कारण लड़कियों को शारीरिक और मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट : संजीत यादव

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