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Monday, September 25, 2023

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भगवान बिरसा मुण्डा और वीर सिद्धो कान्हू जैसे महान सपूतों के त्यागपूर्ण क्षेत्र में गर्व करना चाहिए: सीएम

रांची: अपनी जीवनगाथा के 77वें स्वतंत्रता दिवस पर, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मोराबादी में झंडोत्तोलन किया और इसके पश्चात् राज्य वासियों को उन्हों ने संबोधित किया। अपने संबोधन मे उन्होंने कहा कि हमें भगवान बिरसा मुण्डा और वीर सिद्धो कान्हू जैसे महान सपूतों के त्यागपूर्ण क्षेत्र में गर्व करना चाहिए। उन्होंने सभी झारखण्डवासियों और देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि आज हम भारत की 76वीं स्वतंत्रता दिवस को खुशी-खुशी मना रहे हैं, परंतु हमें याद रखना चाहिए कि हमारी आजादी लाखों वीर स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान के परिणामस्वरूप है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानियों के वीरता को सराहा और उनकी कहानियों को हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत बताया।
हेमंत सोरेन ने यह स्थानिक पर्व को मनाने के दौरान महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, शहीद भगत सिंह, सरदार पटेल, और उन अन्य देशभक्तों को याद किया, जिनका संघर्ष और त्याग हमें स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद किया।
वह उन वीर सपूतों को भी नमन किया जिन्होंने अपने जीवन में झारखंड की भूमि पर संघर्ष किया, जैसे कि आबा बिरसा मुण्डा, सिद्धो-कान्हू, बाबा तिलका मांझी, चांद-भैरव, फूलो-झानों, बुद्ध भगत, जतरा टाना भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर पाण्डेय, गणपत राय, टिकैत उमराव, और विश्वनाथ शाहदेव।
उन्होंने सेना और पुलिस के वीर जवानों की सुरक्षा में लगने की उनकी समर्पण और बलिदान की सराहना की और उनके प्रति आभार व्यक्त किया।
वे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर का समर्थन करते हुए उनके योगदान की महत्वपूर्णता को मानते हैं, जोने आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ा और उन्हें संविधानिक सुरक्षा प्रदान की।
वे इस बात का गर्व करते हैं कि पिछले 75 वर्षों में झारखंड में आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्ग ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से मजबूत होने में योगदान दिया है।
वे झारखंड की सरकार के गठन के बाद गरीबी, बेरोजगारी, और पलायन जैसी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे झारखंड को सशक्त बनाने के लिए जन-भागीदारी और जनभावना को महत्व देते हैं, ताकि गरीब, मजदूर, किसान, आदिवासी, पिछड़े, और दलित सभी को उनके अधिकार मिल सकें।

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