पलामू : झारखंड के पलामू सेंट्रल जेल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां जेल में तैनात सुरक्षाकर्मी कैदियों को उनके परिजनों से मिलने वाले पैसों में से 10 प्रतिशत ‘सुविधा शुल्क’ के नाम पर वसूल रहे थे। यह खुलासा तब हुआ जब इसका एक वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद जेल प्रशासन हरकत में आया और जांच के आदेश जारी किए गए।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, परिजन जब जेल कैंटीन से सामान खरीदने के लिए कैदियों को पैसे देते हैं, तो उस राशि का 10 प्रतिशत हिस्सा गेट पर ही सुरक्षाकर्मी काट लेते हैं। इस अवैध वसूली को ‘कमीशन’ नहीं बल्कि ‘सुविधा शुल्क’ कहा जा रहा है, जो कि भ्रष्टाचार के एक नए रूप को दर्शाता है।
पलामू सेंट्रल जेल के जेलर आशीष कुमार ने इस मामले में चार कर्मियों से जवाब तलब किया है और जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि आरोप साबित होने पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा। जेल में वर्तमान समय में लगभग 1000 कैदी बंद हैं, जिनमें सजायाफ्ता और विचाराधीन दोनों शामिल हैं।
सूत्रों की मानें तो यह कथित वसूली किसी वरिष्ठ सुरक्षाकर्मी के इशारे पर की जा रही थी। वायरल वीडियो में यह बात भी सामने आई कि यदि कोई परिजन ₹500 देता है, तो कैदी को ₹450 ही मिलते हैं, बाकी ₹50 सुरक्षाकर्मी अपने पास रख लेते हैं।
इस घटना के बाद झारखंड में जेल व्यवस्था की पारदर्शिता और निगरानी पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जहां एक ओर भ्रष्टाचार की घटनाएं बाहरी सरकारी कार्यालयों तक सीमित थीं, अब वही सिलसिला जेल के अंदर भी जारी है। यह मामला केवल जेल प्रशासन ही नहीं, बल्कि पूरे न्याय व्यवस्था की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
इस पूरे घटनाक्रम से न केवल पलामू बल्कि पूरे राज्य में हलचल मच गई है। अब देखना है कि जेल के भीतर चल रहे इस ‘कमाई मॉडल’ पर प्रशासनिक कार्रवाई कितनी सख्त होती है और दोषियों को कब तक न्याय के कठघरे में लाया जाता है।