Hathras Stampede Investigation Updates : हाथरस हादसे की जांच में अब ईडी भी उतरेगी, बाबा के वकील का नया दावा – 15 लोगों ने भीड़ में खोले थे जहराली गैस के डिब्बे

हाथरस हादसे की जांच में सियासी फंडिंग समेत चंदा जुटाने को कारपोरेट कंपनी के अंदाज में चलाए जा रहे नेटवर्क वाले एंगल के सामने आने के बाद पूरे प्रकरण में नया मोड़ आया है।

डिजीटल डेस्क : Hathras Stampede Investigation Updates : हाथरस हादसे की जांच में अब ईडी भी उतरेगी, बाबा के वकील का नया दावा – 15 लोगों ने भीड़ में खोले थे जहराली गैस के डिब्बे। अति संवेदनशील हाथरस हादसे की जांच में सियासी फंडिंग समेत चंदा जुटाने को कारपोरेट कंपनी के अंदाज में चलाए जा रहे नेटवर्क वाले एंगल के सामने आने के बाद पूरे प्रकरण में नया मोड़ आया है। बताया जा रहा है आर्थिक अपराध की विधिक तौर पर पुष्टि करते हुए सक्षम स्तर पर प्रभावी कार्रवाई के लिए अब इसमें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम भी उतरने वाली है। इसी बीच जांच के लगतार बढ़ते दायरे से अपने मुवक्किल भोले बाबा के बचाव में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एपी सिंह ने रविवार को हादसे को लेकर नया बयान जारी किया है। कहा है कि गत 2 जुलाई को सत्संग स्थल पर 15-16 लोग जहरीली गैस के डिब्बे ले जा रहे थे, जिन्हें उन्होंने भीड़ में खोल दिया था। उसी से वहां भगदड़ मच गई। वकील ने मारे गए लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए दावा किया है कि उनकी मौत दम घुटने से हुई है, न कि किसी अन्य कारण से।

अधिवक्ता का दावा – बाबा की बढ़ती लोकप्रियता के खिलाफ साजिश है हाथरस हादसा

हाथरस हादसे में मौत की वजह को लेकर साकार हरि के वकील एपी सिंह ने नया दावा पेश करते हुए कहा कि गत 2 जुलाई को हाथरस में सत्संग के बाद हुआ हादसा बाबा की बढ़ती लोकप्रियता के खिलाफ एक साजिश है। हादसे के गवाहों ने उनसे संपर्क किया है जिनका कहना है कि 15-16 लोग जहरीली गैस के डिब्बे ले जा रहे थे, जिन्हें उन्होंने भीड़ में खोल दिया था। उसी से वहां भगदड़ मची थी। वकील एपी सिंह ने कहा कि हादसे में मारे गए लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट देखी गई है और उससे पता चला है कि उन सभी की मौत दम घुटने से हुई है, अन्य किसी कारण से नहीं। उन्होंने कहा कि जहरीली गैस को छोड़ने वालों को भागने में मदद करने के लिए घटनास्थल पर वाहन पहले से ही खड़े थे। एपी सिंह ने अपने इस दावे को लेकर कहा कि हमारे पास सबूत हैं और हम इसे देंगे। जो गवाह उनके पास पहुंचे हैं, उन्होंने नाम न छापने का अनुरोध किया है। एपी सिंह ने कहा कि वह उन गवाहों के लिए सुरक्षा की मांग करेंगे।

सियासी फंडिंग की जांच शुरू, जल्द ही ईडी भी शुरू करेगी जांच

हाथरस हादसे में एसआईटी, पुलिस और  न्यायिक आयोग के साथ अब ईडी भी भोले बाबा की ओर से बीते 35 साल में खड़े हुए साम्राज्य का राज का पर्दाफाश करने में जुटेगा। पुलिस ने तो बाबा के सियासी फंडिंग की जांच रविवार को शुरू कर दी। यूपी एसटीएफ प्रदेश के साथ-साथ देश भर में बाबा की चल-अचल संपत्तियों का ब्योरा जुटा रही है। एसटीएफ की जांच में आर्थिक तौर पर कई ऐसे इनपुट मिले हैं जिसके बाद केस में ईडी की मदद लेने की तैयारी है। अभी तक के पुलिस और प्रशासनिक रुख से मिल रहे संकेतों के मुताबिक, चल रही जांच दर जांच के चक्रव्यूह में भोले बाबा उर्फ सूरजपाल उर्फ साकार हरि का कुनबा (मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति से जुड़े लोग) फंस सकता है। अभी तक की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि बाबा के ज्यादातर करीबी सरकारी सेवा से जुड़े है। उनमें कोई कोई शिक्षक है तो कोई लेखपाल है। माना जा रहा है कि जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी बाबा पर शिकंजा कसना तय हैं।

जांच में मिला चौंकाने वाले तथ्य – कारपोरेट कंपनी सरीखा है भोले बाबा का फंडिंग नेटवर्क

अभी तक जारी जांच में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के संबंध में चौंकाने वाली जानकारी पुलिस को हाथ लगी है। पाया गया है कि बबा का फंडिंग सिस्टम कारपोरेट कंपनी की तर्ज पर चलता रहा है लेकिन धार्मिक चोले में उसका नाम बदल दिया गया। बाबा नारायण साकार हरि के अलग-अलग शहरों में होने वाले सत्संग के लिए भी चंदा नहीं मांगा जाता है। उन्हें आयोजित करने की जिम्मेदारी बाबा की हम कमेटी करती है। जहां भी बाबा का सत्संग होना होता है, वहां पहले हम कमेटी का गठन किया जाता है। वही कमेटी सीधे बाबा के संपर्क में रहती है और हम कमेटी ही सत्संग का पूरा खर्च उठाती है। हम कमेटी को बाहर से चंदा लेने की मनाही होती है। उस कमेटी में 10 से ज्यादा लोग भी हो सकते हैं। पहले बाबा पंडाल में जाते ही इस कमेटी से मिलते हैं, फिर सत्संग होता है। बाबा के सत्संग के लिए हम कमेटी के जरिए ही कोई पंडाल का टेंट लगवाता है, कोई खाने-पीने की व्यवस्था करता है तो कोई सेवादारों को मैनेज करता है। कुल मिलाकर बाबा के आश्रमों का अर्थशास्त्र किसी कंपनी की तरह चलता है, जिसमें कमेटियों के रूप में कई डिपार्टमेंट होते हैं और उनमें भी सेवादारों की अलग-अलग पोजीशन यानी जिम्मेदारी होती है।

हाथरस हादसे में एसआईटी, पुलिस और  न्यायिक आयोग के साथ अब ईडी भी भोले बाबा की ओर से बीते 35 साल में खड़े हुए साम्राज्य का राज का पर्दाफाश करने में जुटेगा।
हाथरस हादसे की जांच में मिले तथ्यों का इनपुट लेते सीएम योगी आदित्यनाथ

पिछले साल भोले बाबा ने स्वार्थवश बदला था अपने ट्रस्ट का नाम

बीते साल 2023 में बाबा ने अपने ट्रस्ट का नाम बदल दिया था और श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट रख दिया गया। यह पहले मानव सेवा आश्रम के नाम से जाना जाता था। साल 2023 में ही पटियाली के रजिस्ट्री ऑफिस में इस ट्रस्ट से जुड़ी कुछ रजिस्ट्रियां हुईं थीं, तभी 12 साल बाद बाबा वहां गया था। जिन जमीनों पर बाबा के आश्रम मौजूद हैं, वो ज्यादातर दान की जमीन हैं जिसे भोले बाबा में विश्वास रखने वाले लोगों ने उनके ट्रस्ट को दी थी। साल 2023 में भोले बाबा ने जैसे जमीनों की रजिस्ट्री अपने नए ट्रस्ट ने नाम की, तुरंत ट्रस्ट का नाम ही बदल दिया  ताकि करोड़ों रुपए की इन संपत्तियों पर भविष्य में उनकी ट्रस्ट का कब्जा मजबूत हो सके। श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट के यूपी के कई शहरों में आलीशान आश्रम हैं। इनमें कासगंज के पटियाली में आश्रम, मैनपुरी में भव्य आश्रम, संभल में प्रवास कुटिया के नाम से आश्रम और आगरा के केदारनगर में घर है। इनकी कीमत करोडों रुपए में आंकी गई है।

गिरफ्तार मधुकर से पुलिस को मिले अहम सुराग, खुलने लगे हैं अकूत संपत्ति के राज

एसटीएफ बाबा के साम्राज्य, धन संग्रह के तरीके, धन के ब्योरे, संपत्तियों आदि की जानकारी जुटा रही हैं। गिरफ्तार मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर ने भी जांच में कई राज खोले हैं। बताया कि बाबा के सत्संग के आयोजन के लिए बनाई गई समिति में ज्यादातर सरकारी सेवक हैं। उनमें शिक्षक, लेखपाल, व्यापारी, कारोबारी, सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी, कुछ रिटायर कर्मचारी शामिल बताए गए हैं। समिति के सदस्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ में बताए जा रहे हैं। समिति के लोग सत्संग से पहले एकत्र किए जाने वाले चंदे की रकम को खुद के पास रखते हैं। एकत्र धन का ब्यौरा एक डायरी में लिखा जाता हैं। तथ्य सामने आया है कि चंदे एकत्र करने वाला वसूली गई राशि से सिर्फ 70 फीसदी आयोजन समिति की डायरी में दर्ज करता हैं। बाकी 30 फीसदी पैसा वह खुद के पास रखता हैं। उसका खुद इस्तेमाल करता है। यानी एक तरह से वह चंदा वसूली का कमीशन होता है। उसकी कोई रसीद नहीं दी जाती थी। इसलिए जांच में जुटी सरकारी एजेंसी गिरफ्तार मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर समेत समिति के बाकी सदस्यों के बैंक खातों की डिटेल खंगाल रही हैं। आयोजन समिति के साथ ही बाबा की संपत्तियों, और उसके खर्चों का मिलान किया जा रहा है। बाबा के पास सैकड़ों वाहनों की कीमत क्या हैं। कीमती गाड़ी कितने की और किसने ली। सैकड़ों सुरक्षा गार्डों पर कितना खर्च होता हैं। बाबा और मुख्य आयोजकों के करीबी रिश्तेदारों, उनके खास लोगों के खातों आदि के लेनदेन को भी जांच में शामिल किया गया हैं। किराये पर रहकर पुलिस में नौकरी करने वाला बाबा सूरजपाल 1990 के बाद एकाएक इतने बड़े साम्राज्य का मालिक कैसे हो गया, इस बिंदु पर लगातार ब्योरा जुटाया जा रहा है।

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