Hazaribagh : हजारीबाग की अपनी 5000 वर्ष से अधिक पुरानी सोहराय और कोहबर कलाकृति की धमक राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुकी है. जिले की 10 महिला कलाकार 10 दिनों तक राष्ट्रपति भवन में रहकर हजारीबाग की लोक कलाकृति को जीवंत प्रदान करने की कोशिश की है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी हजारीबाग की लोक कला की तारीफ की है. साथ ही कहा कि महिलाएं परंपरागत अति प्राचीन लोक कला को जीवंत रखने का काम कर रही है और इसे आगे भी रहना है.
Hazaribagh : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित
दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में हुए कला उत्सव 2025 में हजारीबाग की दस महिला कलाकारों ने अपनी पारंपरिक सोहराई और कोहबर कला से सभी का मन मोह लिया. 14 से 24 जुलाई तक चले कार्यक्रम में शामिल हुई. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने खुद इन कलाकारों से मुलाकात की और उनकी कला की खूब तारीफ की.
जिले की दस महिला कलाकार-रुदन देवी, अनीता देवी, सीता कुमारी, मालो देवी, सजवा देवी, पार्वती देवी, आशा देवी, कदमी देवी, मोहिनी देवी और रीना देवी ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इन्होंने कपड़े पर मिट्टी के रंग और बांस से बने ब्रश से खूबसूरत चित्र बनाए. इनके चित्रों में पेड़, जानवर, पक्षी और आदिवासी जीवन की झलक दिखाई दी. राष्ट्रपति मुर्मू ने कलाकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उनकी बनाई तस्वीरों में “भारत की आत्मा की झलक” है. साथी उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानितभी किया.
Hazaribagh : हजारीबाग की 10 महिला पहुंची राष्ट्रपति भवन

यह आयोजन राष्ट्रपति भवन की एक खास पहल है, जिसका नाम है ‘आवासीय कलाकार कार्यक्रम’’ का नाम दिया गया है. रुदल देवी ने बताया कि गांव की महिला कभी बाहर तक नहीं गई . वो हवाई जहाज से दिल्ली पहुंची और जिन्हें 10 दिनों तक राष्ट्रपति भवन में रखा गया. इन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन बहुत ही सुंदर है. राष्ट्रपति भवन में जो स्वागत मिला उसे कभी नहीं भूल जा सकता है.
सोहराय और कोहबर हजारीबाग की 5000 साल पुरानी लोक कला है. जिसे आज भी बड़कागांव के इसको गुफा में देखा जा सकता है. पत्थरों पर यह तस्वीर आज भी मौजूद है, इस पर शोध का काम भी चल रहा है. सुदूरवर्ती गांव के साथ अब शहर के दीवारों पर भी यह कलाकृति दिखती है. इस कलाकृति में पशु पक्षी वृक्ष को जगह दिया गया है.
Hazaribagh : इस कला को 2020 में GI टैग भी मिला है
आदिवासी महिलाएं खास मौकों जैसे फसल कटाई या त्योहार में अपने घर के बाहर दीवारों पर बनती हैं. इस कला को 2020 में GI टैग भी मिला है. राष्ट्रपति से पुरस्कार मिलने के बाद इन्हें शुभकामनाएं देने वालों की भी कमी नहीं है. हजारीबाग को विकास आयुक्त इश्तियाक अहमद और जिला परिषद अध्यक्ष उमेश मेहता ने इसे राज्य के लिए गौरव की बात कही है.
रुदन देवी के बेटे भी कहते हैं कि मां का एक हाथ घर में ही दुर्घटना के दौरान काटना पड़ा था. दाहिना हाथ काटने के बाद भी मां ने कभी कला को छोड़ा नहीं.बाएं हाथ से अभ्यास किया और आज यह मुकाम हासिल की है. बड़कागांव प्रखंड के जोराकाठ की महिलाओं को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. गांव की गलियों से निकलकर सोहराई और कोहबर कला ने सिर्फ स्थानीय सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी पहचान दिलाई.
शशांक शेखर की रिपोर्ट–
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