Wednesday, July 16, 2025

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Hazaribagh : देसी साइंटिस्ट! बैगन के पौधे पर निकलेगा टमाटर, लाखों में कमाई….

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Hazaribagh : हजारीबाग खेती के लिए पूरे राज्य भर में जाना जाता है. यहां के किसान अब खेती में नई-नई तकनीक ला रहे हैं. कम पूंजी और मेहनत में अच्छी खेती हो सके. हजारीबाग के नगड़ी गांव के अनपढ़ किसान राजेन्द्र टुडू ने टमाटर की खेती के क्षेत्र में नवाचार लाने के प्रयास में जुटे हुए है. जिससे लगभग 60 हजार टमाटर का पौधा ग्राफ्टिंग विधि से तैयार कर रहे है. जो लगभग 50 एकड़ जमीन में लगाया जाएगा.

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Hazaribagh : टमाटर की खेती के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है हजारीबाग

Hazaribagh : ग्राफ्टिंग विधि से खेती
Hazaribagh : ग्राफ्टिंग विधि से खेती

बरसात के मौसम में टमाटर की खेती करना संभव नहीं होता है. हजारीबाग टमाटर की खेती के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. यहां एक मौसम में करोड़ों रुपए का टमाटर का व्यवसाय होता है. हाल के दिनों में टमाटर के खेती में किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा था. अत्यधिक पानी के कारण खेती खराब हो रही थी तो दूसरी ओर कीड़ा के कारण फसल भी बर्बाद हो रहा था. इसे देखते हुए चुरचू प्रखंड के नगड़ी गांव के राजेंद्र टुडू ने टमाटर की ग्राफ्टिंग विधि से पौधा तैयार करने का सोचा. नारी ऊर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी और सपोर्ट संस्था की ओर से उसे मदद किया गया.

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राजेंद्र टुडू ने पॉलीहाउस में बैगन और टमाटर का पौधा तैयार किया. इसके बाद बैगन का पौधा जब थोड़ा बड़ा हुआ तो उसके डेंटल को काट दिया गया और टमाटर के डेंटल को लगा दिया गया. जिससे जड़ बैगन का रहा और तना टमाटर का. राजेंद्र टुडू का कहना है की बरसात के समय बैगन का पौधा खूब जोर बढ़ता है और फल देता है. ग्राफ्टिंग किए हुए पौधे से टमाटर का बेहतर उपज होगा.

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टमाटर के तने को बैगन की जड़ से जोड़ा जाता है

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इस तकनीक में टमाटर के तने को बैगन की जड़ से जोड़ा जाता है. बैगन की जड़ ज़्यादा पानी सहन कर लेती है, जिससे टमाटर का पौधा बरसात में भी खराब नहीं होता. इससे 90% पौधे बच जाते हैं और ये पौधे 6 से 9 महीने तक फसल देते हैं. इसे लेकर चुरचू नारी ऊर्जा फार्मर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड कर रही है. किसानों को ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. राजेंद्र टुडू ने पॉलीहाउस में ग्राफ्टिंग करके दूसरे किसानों के लिए पौधे तैयार करना शुरू कर दिया है. अब तक 60 हजार पौधों की ग्राफ्टिंग हो चुकी है, जिनसे करीब 50 एकड़ में टमाटर की खेती की जाएगी.

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ग्राफ्टेड पौधे की कीमत सामान्य पौधे से थोड़ा ज्यादा है, लेकिन उत्पादन और पौधों के बचने की दर अधिक होने के कारण यह तकनीक किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा. हजारीबाग का यह क्षेत्र जो टमाटर उत्पादन में भारत मे तीसरा स्थान रखता है यह तकनीक न सिर्फ किसानों के लिए वरदान साबित होगा. बल्कि यह कृषि क्षेत्र में नवाचार की एक मिसाल भी बनेगा. उम्मीद हैं कि इससे और भी किसान प्रेरणा लेंगे.

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