भाषा के नाम पर क्षेत्रीयता ठीक नहीं, झारखंड में भी बसता है एक बिहार
जमशेदपुर : झारखंड के पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा है कि अगर भाषा विवाद को जल्द नहीं सुलझाया गया तो राज्य को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. ये राज्य के विकास में बाधा बन सकती है. उन्होंने सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि भाषा के नाम पर अगर क्षेत्रीयता की लड़ाई शुरू हो जाए तो ये ठीक नहीं है. पिछली सरकार की तरह मौजूदा सरकार की भाषा नीति में भी खामी है, जिसे सुधारने की जरूरत है. पूर्व मंत्री ने कहा कि सभी भाषा का सम्मान होना चाहिए और बात मेरिट पर होनी चाहिए. सरकार को चाहिए कि दोनों पक्षों से बात कर मामले को जल्द से जल्द सुलझाए.
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राज्य सरकार द्वारा जो भाषा नीति बनाई गई है, उस पर लगातार विरोध में आवाज उठना शुरू हो गई, इस मामले को लेकर विधायक सरयू राय का कहना है कि जो भाषा नीति वर्तमान सरकार बनाई है और पिछली सरकार भी एक भाषा नीति बनाई थी, दोनों के ही नीतियों में खामिया है. इसलिए विरोध में आवाज उठ रहे हैं. कुछ ऐसे जिले हैं जहां पर उन भाषा का प्रभाव है. लोगों का मानना है कि यह बिहार की भाषा है, लेकिन भाषा किसी राज्य की नहीं होती. मेरिट पर विचार करना चाहिए.
सरयू राय ने कहा कि इसके बारे में मैंने राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से बात की है. मुझे जहां पर पहल करना चाहिए वहां पर मैं बात कर रहा हूं. इस विवाद का समाधान सरकार जल्दी करे जिससे राज्य के विकास में बाधा न हो. भाषा के नाम पर अगर क्षत्रियता की लड़ाई हो जाए यह ठीक नहीं है. सभी भाषा की सम्मान होनी चाहिए. सरकार दोनों पक्षों से बात करे. ताकि झारखंड में शांति व्यवस्था कायम रहे. राज्य में बाहरी भीतरी की भावना 21 साल बाद भी नहीं सुलझ पायी तो राज्य के विकास पर असर पड़ेगा. जो विवेकशील लोग हैं इस पर गहराई से सोचें. मैं सरकार से भी बात कर रहा हूं. जो पक्ष में है उनसे भी जो विरोध में है उनसे भी बात कर रहा हूं. मेरी कोशिश है कि सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए. साथ ही उन्होंने यह भी कहा जब राज्य अलग नहीं बना था यह पूरा झारखंड बिहार में था. जब यह राज्य अलग हो गया तो झारखंड में भी एक बिहार बसा हुआ है, जो 2000 ई. के पहले का है. उसके अस्तित्व को नकारने का कोई बात करेगा वह भी सही परिपेक्ष में राज्य के विकास में बाधा उत्पन्न करेगा. इसलिए सभी लोग सोच समझकर निर्णय लें ताकि झारखंड में समरसता बने.
रिपोर्ट: लाला जब़ी
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