नालंदा: Nalanda के सिलाव प्रखंड के मोहनपुर स्थित मत्स्य हैचरी में मछली के कई प्रजातियों के जीरा का उत्पादन किया जा रहा है जिसकी मांग बिहार झारखंड ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों में भी है। यहां के जीरा को दूसरे राज्यों के मछली पालक लेकर आ जाते हैं। मछली पालक किसान सिलाव मत्स्य जीवी सहयोग समिति के मंत्री शिवनंदन प्रसाद ने बताया कि वह 1990 से इस कारोबार से जुड़े हुए हैं।
उनके इस सहयोग समिति में 6 जिला के करीब 104 समिति जुड़कर काम कर रहे हैं। जिले में जितने भी तालाब हैं सभी में मछली पालन उनसे जीरा जाते हैं सिलाव में करीब 110 तालाब है। हालांकि उन्होंने इस बार की भीषण गर्मी के कारण कई तालाब सूखने के कारण थोड़ा कारोबार में कमी की बात बताई। उन्होंने बताया कि 2015 में मुख्यमंत्री तो 2017 में कोलकाता में राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
उन्होंने बताया कि मछली पालन का रोजगार करने से पहले प्रशिक्षण लेना बहुत जरूरी है इससे वह सही तरह से मछली पालन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि बिहार में पहली बार अमूल कॉर्प मछली का जीरा यहीं तैयार किया गया है। नई प्रजाति अमूल कॉर्प मछली का जीरा पहले ओडिशा से लाया जाता था।
मछली के इस प्रजाति की खासियत है कि यह कम समय में बढ़ जाती है तथा अन्य मछलियों की तुलना में दोगुना फायदा पहुंचाती है। इसके अलावा बाजार में इसकी डिमांड भी काफी है। इसका उत्पादन बायोफ्लेक विधि से भी किया जा सकता है। हैचरी में बायोफ्लेक विधि से मत्स्य पलकों को ट्रेनिग के अलावा कम जगह, कम पानी में आसानी से मछली पालने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
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नालंदा से राजा कुमार की रिपोर्ट
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