रांची: झारखंड विधानसभा में विधायक अरूप चटर्जी ने 22 Scope से बात करते हुए नवजात शिशुओं की हत्या और असुरक्षित परित्याग के मामलों को गंभीर चिंता का विषय बताया और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की सेफ सरेंडर योजना के बावजूद, इसकी जानकारी आम जनता तक नहीं पहुंच पाई है। इसी कारण, कई माता-पिता अपने नवजात बच्चों की हत्या कर देते हैं या उन्हें असुरक्षित स्थानों पर छोड़ देते हैं।
विधायक ने एनजीओ ‘पालोना’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2015 से 2020 के बीच झारखंड में केवल सात मामलों को आधिकारिक रूप से दर्ज किया गया, जबकि पालोना के सर्वेक्षण के अनुसार, इसी अवधि में राज्यभर में 350 से अधिक नवजातों को असुरक्षित हालात में छोड़ा गया या उनकी हत्या कर दी गई। उन्होंने इस मुद्दे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से इनफेंट प्रोटेक्शन एक्ट लाने और व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने की मांग की।
चटर्जी ने कहा कि देश में भ्रूण हत्या के खिलाफ कानून मौजूद है, लेकिन जन्म के बाद नवजात शिशुओं की हत्या या उनके साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कड़े नियमों की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की जानकारी लोगों तक पहुंचनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित रूप से अपने नवजात बच्चों को सरकार को सौंप सकें, और उनकी पहचान गोपनीय रखी जा सके।