MOTHER’S DAY SPECIAL
गया: आज मदर्स डे है, और इस अवसर पर हम एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जो एक मिसाल के तौर पर है। यह कहानी है एक सासू मां और बहू की। 65 की उम्र की सासू मां यहां उस किरदार में हैं, जो एक सगी मां के लिए भी करना मुश्किल हो जाता है। हम बात कर रहे हैं, बिहार के गया की सासू मां और बहू के बीच ऐसे प्रेम की डोर की, जिसने बहू को ‘बेटी’ और सासू मां को ‘मां’ के रूप में साकार कर रखा था।
यही वजह रही कि जब बहू अचानक बीमार पड़ी और पता चला कि उसकी दोनों किडनी फेल है, तो अपनी बेटी जैसी बहू को बचाने के लिए सासू मां 65 की उम्र में अपनी किडनी देने के लिए आगे आ गई। इतना ही नहीं जिद कर सासू मां ने एक किडनी डोनेट भी की। इसके बाद आज बीमार बहू स्वस्थ जिंदगी अपने परिवार के साथ बिता रही है। बहू के लिए जीवन का वरदान देने वाली निकली सासू मां।
यूं तो सास और बहू के रिश्ते को ज्यादातर लोग झगड़ालू नजरिए से जानते हैं, लेकिन बिहार के गया में एक सासू मां अपनी बहू के लिए उसकी सगी मां से भी बढ़कर निकली। सासू मां ने जो किया, वह एक मिसाल के तौर पर है। यदि कोई सगी मां भी होती, तो शायद ऐसा करने से पहले एक बार जरूर सोचती, लेकिन सासू मां ने बगैर सोचे अपनी बहू के लिए वह किया जो उसके जीवन के लिए वरदान के समान थी।
एक मां अपनी बेटी को उंगली पकड़कर चलना सिखा सकती है, लेकिन ससुराल वाली सासू मां ने अपनी बहू को सगी बेटी के रूप में देखा और 65 की उम्र में एक किडनी देकर जीवन और मौत के बीच झूल रही बहू की जान बचा ली। सास और बहू के बीच निश्चल प्रेम की यह डोर आज चर्चा का विषय और बड़ी मिसाल बनी हुई है। गया के अतरी प्रखंड के टेेटुआ पंचायत अंतर्गत सिरियामा की रहने वाली अनु देवी अचानक बीमार पड़ गई थी। उसे खाना नहीं पचता था एवं हाथ-पैर में सूजन आ जाती थी।
पति राजेश कुमार ने इलाज कराना शुरू किया इस क्रम में गया के मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज के लिए ले गए तो वहां पता चला कि किडनी में प्रॉब्लम है। इसके बाद पटना इलाज को ले गए, जहां अनु देवी का इलाज चलता रहा। इस बीच बेहतर उपचार के लिए चंडीगढ़ पीजीआई में भर्ती कराया। किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रही अनु देवी डायलिसिस पर रही। इस बीच डॉक्टर ने उसके दोनों किडनी फेल होने की बात कही।
अनु की दोनों किडनी फेल होने के बाद सामने आते ही परिंजनों में हड़कंप मच गया। मध्यवर्गीय इस परिवार के लिए इस मुसीबत के बीच अनु देवी की जान बचाने की चुनौती थी। डॉक्टर ने कहा किडनी पर प्रत्यारोपण करना होगा। तभी अनु देवी की जान बचाई जा सकती है। यह जानकारी जब अनु की सासू मां मालती देवी को हुई तो अपनी बहू की जान बचाने की ममता जाग उठी। मालती देवी ने बड़ा निर्णय लिया था। यह एक सासू मां के लिए सगी बेटी जैसी बहू अनु को हर हाल में जान बचाने का निर्णय था।
गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट
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