प्रयागराज : महाकुंभ से अब हरिद्वार कुंभ में मिलने वादा कर लौटने लगे नागा साधु। महाकुंभ 2025 का आज 24वां दिन है। एक दिन पहले भूटान नरेश ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम तीर्थ त्रिवेणी में पावन डुुबकी लगाई तो आज खुद PM Modi पावन संगम स्नान एवं मां गंगा के पूजन को दिन में 11 बजे पहुंच रहे हैं।
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इस बीच उपराष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, सपा मुखिया अखिलेश यादव लेकर विभिन्न सियासी दलों के नेता, सांसद और विधायकों के अलावा अभिनेता भी यहां आम श्रद्धालुओं के महाकुंभ का हिस्सा बन चुके हैं। इन सबके बीच मुख्य आकर्षण का केंद्र साधु-संतों के अखाड़े बीते कल अचला सप्तमी के स्नान के बाद धीरे-धीरे अब खाली होने की तैयारी में है।
खास तौर पर नागा साधुओं की टोली लौटने लगी है और उसके लिए जरूरी रस्में पूरी की जा रही है। अब सभी अखाड़ों की अगली मुलाकात दो साल बाद हरिद्वार अर्द्धकुंभ में होगी। हालांकि, अखाड़ों की धर्मध्वजा महाशिवरात्रि के बाद ही छावनी से उतारी जाएगी।
विदा होने से पहले अखाड़ों में कढ़ी पकौड़ी…
संगम में संपन्न हुए तीसरे अमृत स्नान के बाद से नागा संन्यासियों ने अपना समान एकत्र करना शुरू कर दिया। निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के बाहरी पटरी पर पिछले 22-23 दिनों से धूनी रमाए नागा संन्यासी अपना सामान समेटने लगे हैं। अखाड़ों में अब विदाई का दौर आरंभ हो गया है।
छावनी में कढ़ी पकौड़ी की परंपरागत पंगत के बाद सभी साधु-महात्मा एक दूसरे से विदा लेकर काशी रवाना होने की तैयारी कर चुके हैं। अचला सप्तमी के बाद अलग-अलग अखाड़ों में कढ़ी पकौड़ी की परंपरा का पालन शुरू हो चला है। सबसे पहले शैव अखाड़े के संन्यासी विदाई लेंगे। उसके बाद अनी एवं उदासीन अखाड़ों के साधु-संत विदा होंगे।

महाकुंभ 2025 में जुटे साधु-संतों के अखाड़ों के मेला क्षेत्र से पारंपरिक वापसी का ब्योरा देते हुए निरंजनी अखाड़ा के नागा संन्यासी महेंद्र पुरी ने बताया कि कढ़ी-पकौड़ी के बाद धूनी भी ठंडी कर देंगे।
यह कढ़ी-पकौड़ी महाकुंभ में अचला सप्तमी के बाद अखाड़ों में अलग-अलग आयोजित होती है और उस रस्म में भागीदारी के बाद मेला क्षेत्र से साधु-संंतों के अखाड़ों के साथ वापसी शुरू होने की पुरानी सनातनी परंपरा है।

धूनी ठंडी करने के साथ जमीन में गड़ा चिमटा भी उखाड़ने लगे हैं साधु…
महाकुंभ 2025 में बीते बसंत पंचमी पर हुए तीसरे अमृत स्नान के बाद से ही नागा संन्यासियों ने अपना समान एकत्र करना शुरू कर दिया है। निरंजनी, महानिर्वाणी एवं जूना अखाड़े के बाहरी पटरी पर पिछले 22 -23 दिनों से धूनी रमाए नागा संन्यासी अपना सामान समेटने लगे हैं।
धूनी के साथ जमीन पर गड़ा चिमटा उखाड़कर उसे कपड़े से बांध लिया है। त्रिशूल एवं तलवार भी बक्से में रख ली है। पिछले करीब एक माह से श्रद्धालुओं को आशीष बांट रहे नागा संन्यासी अब यहां से जाने के लिए ट्रक, ट्रैक्टर एवं वाहनों के बंदोबस्त मेंं लगे हैं।
बताया जा रहा है कि बीते कल मंगलवार को अचला सप्तमी तक अधिकांश संन्यासी यहां से रवानगी शुरू कर चुके हैं। हालांकि, मेला क्षेत्र में अभी अनी अखाड़े के संन्यासी धूना तपस्या पूरी करके के साथ ही त्रिजटा स्नान को यहां ठहरेंगे। उसके बाद वह भी यहां से रवाना हो जाएंगे।

त्रिजटा स्नान तक रहेंगे वैष्णव परंपरा के संत, नए नागाओं को काशी में मिलेगा सर्टिफिकेट
बताया जा रहा है कि अचला सप्तमी के बाद से महाकुंभ 2025 मेला क्षेत्र से साधु-संतों शुरू हुई वापसी के बाद भी वैष्णव परंपरा के संत यहां त्रिजटा स्नान तक ठहरेंगे। श्रीकृष्ण मंगल सनातन विचार मंच के डाॅ. विश्वनाथ निगम का कहना है कि माह भर तक स्नान न कर पाने वालों के लिए त्रिजटा स्नान विशेष फलदायी होता है।

फाल्गुन मास की तृतीया तिथि पर त्रिजटा स्नान का मुहूर्त माना जाता है। तमाम वैष्णव संत भी इस स्नान के लिए खास तौर से प्रयाग आते हैं। इस वर्ष महाकुंभ होने की वजह से वह यहां रहकर ही त्रिजटा स्नान करेंगे। इसके बाद ही उनकी यहां से रवानगी होगी हालांकि मेले का औपचारिक समापन शिवरात्रि के आखिरी स्नान पर्व के बाद होगा।
इसी क्रम में सबसे अहम जानकारी महाकुंभ 2025 में नए नागा साधु बनने वालों के संबंध में भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि जिन नागाओं की दीक्षा कुंभ नगरी में हुई है, उनको अखाड़ों का प्रमाण पत्र काशी से मिलेगा।
इसके साथ ही नए बने महामंडलेश्वर, महंत समेत रमता पंच के सदस्यों को भी मोहर छाप काशी से ही नई बनवानी पड़ेगी।। महाकुंभ के साथ ही उनके पुराने सभी प्रमाण पत्र भी रद हो जाते हैं। अब इनको नए सिरे से बनवाया जाएगा।