रांची: राजधानी रांची में कई वारदातों में यह बात साफ हुई है कि जेल में बंद अपराधियों के इशारे पर बड़ी वारदातों को अंजाम दिया जाता है। साथ ही जेल से निकलने पर अपराधी फिर वारदात को अंजाम देते है।
ऐसे में अब रांची पुलिस खुद इन अपराधियों पर पैनी नजर रखेगी।अपराधियों के जेल के अंदर और बाहर होने की सारी जानकारी पुलिस जुटाएगी। इसके लिए जिले के सभी थानों में एक एक नोडल ऑफिसर बनाया गया है।
जो अपने-अपने थाना क्षेत्र से जेल जाने वाले और जेल से निकलने वाले अपराधियों का डेटा तैयार करेंगे और उन पर नजर रखेंगे।नोडल ऑफिसर अपने डेटा में जेल में बंद अपराधी कब जमानत पर बाहर निकलते हैं या फिर उनसे मिलने कौन-कौन लोग जाते हैं।
जेल से निकलने के बाद उनकी गतिविधियां क्या रहती है। इसकी जानकारी रखेंगे।इन जानकारियों की मदद से क्राइम कंट्रोल करने में पुलिस को मदद मिलेगी।
हालांकि कई बार बड़ी कोशिशों के बावजूद जेल प्रशासन के द्वारा सही समय पर पुलिस को नहीं मिल पाती है कि कौन कुख्यात अपराधी जमानत पर बाहर है या फिर किसकी सजा खत्म हो गई है और जेल में उनसे मिलने कौन कौन आता है।अपराधियों से मिलने वाले मुलाकातियों की सूचना पुलिस को नहीं मिल पाती है।
जो अपराधियों की गतिविधि को जानने के लिए मददगार साबित हो सकती है। इन्ही सब वजहों से रांची के सभी 44 थाना और टीओपी में नोडल ऑफिसर बनाए गए है। जो हर दिन जेल और पुलिस कोर्ट ऑफिस में जाकर अपराधियो के बारे में जानकारी जुटाएंगे।
वहीं हत्या ,डकैती ,लूट ,छिनतई जैसे अपराध में लिप्त अपराधी थाना को बिना सूचना दिए शहर नही छोड़ेंगे।इस पर भी नजर रखनी है। सभी को नोडल ऑफिसर्स की मौजूदगी में थाने में हाजिरी लगानी होगी।वहीं
सभी थानों के नोडल ऑफिसर एक दूसरे के संपर्क में रहेंगे।
नोडल ऑफिसर को इन सूचनाओं को इकट्ठा करना है:
1-एक सफ्ताह के बीच अपराधी से मिलने कौन कौन आया
2-जेल से जमानत पर कौन अपराधी निकला
3-जेल से निकलने के बाद अपराधी से थाना हाजिरी निश्चित करवाना
4-जेल में रहने के दौरान अपराधी का आचरण कैसा था
5-पूरे परिवार के साथ सभी पहचान पत्र और सभी मोबाइल नम्बर जमा करना