Highlights
Koderma : शादी के करीब 7 साल के बाद BPSC की परीक्षा में सफलता प्राप्त करने वाली नूर फातिमा के
संघर्ष की कहानी युवाओं को प्रेरित करने वाली है।
सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले युवा एक तरफ जहां दो-तीन असफलताओं के बाद अपनी राह बदल देते हैं,
वहीं कोडरमा के झुमरी तिलैया की रहने वाली नूर फातिमा ने असफलताओं से सीख लेते हुए सफलता की
नई परिभाषा गढ़ी है।
नूर फातिमा ने बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा आयोजित 68वीं बीपीएससी की परीक्षा में 221 रैंक प्राप्त
कर समाज कल्याण विभाग में प्रखंड कल्याण पदाधिकारी बनने का गौरव हासिल किया है।

2016 में बरही के करियातपुर दुलमुहा गांव में हारून रशीद से उनकी शादी हो गई।
3 वर्षों तक पढ़ाई से ब्रेक लेने के बाद वर्ष 2019 से उन्होंने दोबारा सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।
66वीं और 67वीं बीपीएससी की परीक्षा में उन्हें असफलता हाथ लगी। नूर फातिमा ने बताया कि पारिवारिक
और घरेलू जिम्मेदारियो को निभाते हुए प्रतिदिन वह 6 से 7 घंटे अपनी पढ़ाई पर देती थी।
नूर फातिमा ने बताया कि तैयारी के दौरान उन्होंने खुद को सोशल मीडिया से दूर रखा।
पढ़ाई के दौरान संसाधनों की कमी होने पर उन्होंने कपड़ों की खरीदारी कम कर किताबों की खरीददारी पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि अब आगे नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी भी उनकी जारी रहेगी।
रामगढ डीसी कार्यालय से रिटायर हुए नूर फातिमा के पिता बदरूउद्दीन ने बताया कि कोडरमा के जयनगर प्रखंड
में भी कई वर्षों तक नाजीर के रूप में रहने के कारण अधिकारियों के बीच रहने पर वह अक्सर अपने बेटे-बेटियों
को अधिकारियों के समाज में प्रतिष्ठा एवं उनकी जीवनशैली का उदाहरण देकर बच्चों को
सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित करते थे।
जहानाबाद में शिक्षक का बेटा बना अधिकारी, BPSC परीक्षा में बना सेकेंड टॉपर