रांची: झारखंड में पेसा एक्ट 1996 के तहत नियमावली के ड्राफ्ट पर सुझाव देने के लिए बस चार दिन बचे हैं। पंचायती राज विभाग ने आम लोगों से एक माह के लिए सुझाव मांगे थे, जिनकी अवधि 30 अगस्त को समाप्त होने वाली है। विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया है कि पेसा से जुड़े प्रावधानों के सुझाव प्रतिदिन ई-मेल या पत्रों के माध्यम से प्राप्त हो रहे हैं, और उनकी लगातार समीक्षा भी हो रही है।
30 अगस्त के बाद, सभी सुझावों को एकत्र किया जाएगा। पेसा एक्ट 1996 के प्रावधानों के आधार पर जो सुझाव प्राप्त होंगे और जोड़ने लायक माने जाएंगे, वे नियमावली में समाहित किए जाएंगे।
इसके बाद, विभाग इन सुझावों के साथ सक्षम प्राधिकार के माध्यम से कैबिनेट की मंजूरी के लिए आवेदन करेगा। इस प्रक्रिया से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभाग जल्द ही मंजूरी प्राप्त करेगा। इस बीच, यह भी जाना जा रहा है कि 2022 में प्रकाशित हुई झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियमावली के प्रारूप में भी सुधार किए गए हैं। इससे अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं के सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
नियमावली में अनुसूचित क्षेत्रों के ग्राम सभाओं के गठन, संरचना, कार्यक्रम की प्रबंधन, स्थायी समितियों का रूपांतरण, सामुदायिक संसाधनों का प्रबंधन, परंपराओं का संरक्षण, विवाद प्रबंधन, विकास योजनाओं का मंजूरी प्राप्त करना, लाभार्थियों की पहचान, सामाजिक संगठनों के कार्यों का नियंत्रण, भू-अर्जन और पुनर्स्थापन, लघु जल निकायों का प्रबंधन, लघु खनिज, मादक द्रव्यों का नियंत्रण और लघु वन उपज से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों को स्पष्टता से दिया गया है।
साथ ही, भूमि के प्रत्यावर्तन, बाजारों में प्रबंधन, उधार पर नियंत्रण जैसे मुद्दों पर भी ग्राम सभा की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए विस्तार से चर्चा की गई है।
झारखंड में कुल 13 जिलों में अधिसूचित क्षेत्रों का समावेश है, जिनमें रांची, खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, प. सिंहभूम, सरायकेला-खरसांवा, दुमका, जामताड़ा, पाकुड़, लातेहार और साहिबगंज शामिल हैं। इसके अलावा, गढ़वा, गोड्डा और पलामू के कुछ क्षेत्र भी इसमें शामिल हैं।
इस तरह से राज्य के कुल 16 जिलों में 135 प्रखंडों में 2066 पंचायतों के 16028 ग्राम सभा में जनजाति समाज की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। यहां, जिला परिषद में 536, 5341 पंचायत समिति सदस्य, 4351 मुखिया और 53479 ग्राम पंचायत सदस्य हैं, जिनमें से 21283 जनजाति समाज के लिए आरक्षित हैं। सरकार से कई स्तरों पर यह मांग की जा रही है कि पेसा संबंधित प्रावधानों को लागू किया जाए, ताकि अधिसूचित जिलों में विकास कार्यों को गति दी जा सके, और अब सरकार इस पर आगे बढ़ी है।