Political Twist : सुर्खियों में मंजू हुड्डा, कांग्रेस दिग्गज भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ बनीं भाजपा प्रत्याशी, पिता डीएसपी तो पति गैंगस्टर

डिजीटल डेस्क : Political Twistसुर्खियों में मंजू हुड्डा, कांग्रेस दिग्गज भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ बनीं भाजपा प्रत्याशी, पिता डीएसपी तो पति गैंगस्टर। हरियाणा में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की ओर प्रत्याशियों की घोषणा और लोगों के दलबदल के साथ तमाम सियासी उठापटक के बीच एक नाम सुर्खियों में है। वह है मंजू हुड्डा।

हरियाणा की सियासत में अचानक यह नाम हर किसी की जुबां पर है। वजह एक नहीं कई हैं। कांग्रेसी दिग्गज नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ मंजू हुड्डा चुनाव मैदान में उतर गई हैं और वह भी सत्तारूढ़ भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर।

मंजू सबसे ज्यादा सुर्खियों में इसलिए भी हैं कि वह मौजूदा सियासी लड़ाई में हरियाणवी ग्लैमर का तड़का वाला तमगा अपने साथ नहीं रखतीं बल्कि अपनी अलग पृष्ठभूमि के लिए ही शुरू से सुर्खियों में रहती रही हैं।

इनके पिता पुलिस में अधिकारी हैं जबकि पति नाम गैंगस्टर। बुलेट की सवारी तो इनका एक टशन है ही और गंवई सियासत में अपनी मजबूत पकड़ के चलते रोहतक जिला पंचायत की निर्वाचित अध्यक्ष भी हैं।

शादी के बाद मंजू यादव से बनी मंजू हुड्डा को जानिए…

मंजू हुड्डा शादी से पहले मंजू यादव हुआ करती थी। उनका नाता हरियाणा के ऐसे परिवार से है, जहां पिता हरियाणा के डीसीपी रहे हैं तो पति गैंगेस्टर और हिस्ट्रीशीटर। मंजू का जन्म हरियाणा के गुरुग्राम में हुआ और उनके पिता का नाम प्रदीप यादव है। प्रदीप यादव भले ही किसान परिवार में जन्में हो लेकिन हरियाणा पुलिस में डीएसपी रह चुके हैं।

मंजू ने रोहतक के गढ़ी सांपला-किलोई क्षेत्र के गांव धामड़ के रहने वाले राजेश हुड्डा सरकारी से शादी कर ली थी जिसके बाद वो मंजू हुड्डा बन गई। मंजू हुड्डा के पति राजेश हुड्डा पर करीब 18 मामले दर्ज हैं जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण और लूट के मामले भी हैं।

राजेश हुड्डा पर सिर्फ हरियाणा में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी आपराधिक मामले दर्ज हैं। राजेश हुड्डा कई सालों तक जेल में भी रहा और रोहतक का नामी गैंगस्टर है और फिलहाल हाईकोर्ट से जमानत पर बाहर है।

अपने पति के गैंगस्टर होने को लेकर मंजू हुड्डा का कहना है कि- ‘वह उनका अतीत था। किन परिस्थितियों में व्यक्ति से क्या हो जाए यह नहीं कहा जा सकता। पिछले 10 वर्षों से उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। पति राजेश के कहने पर ही राजनीति में कदम रखा।

पति ने कभी भी मेरे काम में हस्तक्षेप नहीं किया है।अपने पति से ही गलत के खिलाफ आवाज बुलंद करना सीखा है। अपने पिता के बाद मैंने पति राजेश हुड्डा से बहुत कुछ सीखा है’।

दो साल पहले मंजू हुड्डा की सियासत में मारी एंट्री, बाद में थामा भाजपा का दामन

बताया जाता है कि मंजू का सियासी सफर उनके अपने पति की रजामंदी से अब से 2 साल पहले ही हुआ। गैंगस्टर राजेश उर्फ सरकारी ने जेल से बाहर आने के बाद खुद राजनीति में कदम रखने के बजाय अपनी पत्नी मंजू हुड्डा को मैदान में आगे बढ़ाया।

मंजू हुड्डा ने साल 2022 में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव से एंट्री मारी और रोहतक जिले के वार्ड नंबर 5 से मंजू हुड्डा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरीं। उस चुनाव में मंजू ने जजपा की रोहतक जिला अध्यक्ष मीणा मकड़ौली और भाजपा नेता धर्मपाल मकड़ौली की पत्नी को मात देकर जिला पंचायत सदस्य बनीं।

उसके बाद मंजू हुड्डा निर्दलीय रोहतक की जिला पंचायत की अध्यक्ष बनीं और बाद में अपने पति राजेश हुड्डा सरकारी के साथ भाजपा का दामन थाम लिया।

मंजू हुड्डा
मंजू हुड्डा

Political Twist : हुड्डा बनाम हुड्डा वाले किलोई सीट पर लगी सियासी रणनीतिकारों की निगाहें

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 67 और कांग्रेस ने 32 कैंडिडेट घोषित कर दिए हैं। कांग्रेसी दिग्गज भूपेंद्र हुड्डा एक बार फिर से रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई सीट से चुनाव मैदान में हैं तो वहीं दूसरी भाजपा ने उनके सामने गैंगस्टर राजेश हुड्डा की पत्नी मंजू हुड्डा को उतारा है।

रोहतक जिला पंचायत की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा के पति का आपराधिक इतिहास हमेशा सुर्खियों में रहा है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि प्रत्याशी चयन में गैंगस्टर से सीधा जुड़ाव होने के बाद भी भाजपा ने उन पर क्यों दांव खेला है? क्या मंजू हुड्डा भी हरियाणा की राजनीति में तोशाम विधानसभा की सीट पर 37 साल पहले हुए उलटफेर जैसा कुछ कर सकती हैं ?

भूपेंद्र हुड्डा की सीट पर मंजू हुड्डा की उम्मीदवारी से यह मुकाबला चर्चा में आ गया है। तोशाम से पूर्व सीएम स्व. बंसीलाल पहली बार 1967 में पहली बार जीते थेलेकिन 1987 के विधानसभा चुनाव में उन्हें लोकदल के उम्मीदवार धर्मबीर ने हरा दिया था। उस वक्त पर धर्मबीर की छवि की दबंग की थी।

चुनावों में जब लोकदल सत्ता में आया तो देवी लाल मुख्यमंत्री बने और उन्होंने सिटिंग मुख्यमंत्री को हराने के लिए धर्मबीर को मंत्री बना दिया। अपने गढ़ तोशाम में मिली हार को पूर्व सीएम बंसीलाल ने चुनौती दी और कोर्ट ने उसे चुनाव को रद्द कर दिया था।

1987 के जिस विधानसभा चुनावों की चर्चा हो रही है उस चुनावों में लोकदल से उम्मीदवार बने धर्मबीर ने 32,547 वोट हासिल किए थे। बंसीलाल जो उस वक्त पर मुख्यमंत्री थे। उन्हें 30,361 वोट मिले। धर्मबीर अब भाजपा के महेंद्रगढ़ से सांसद है। धर्मबीर ऐसे नेता है जो जिन्होंने बंसीलाल की तीनों पीढ़ियों को हराया है।

बता दें कि वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों में गढ़ी सांपला किलोई सीट से भूपेंद्र हुड्‌डा पांचवी बार जीते थे। उन्होंने 58 हजार से अधिक मतों से भाजपा के सतीश नांदल को हराया था। यह सीट भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा के पिता की सीट रही है। उनके पिता 1968 में पहली बार जीते थे। इस सीट पर अभी तक भाजपा कभी नहीं जीती है।

भूपेंद्र हुड्‌डा पांच बार इस सीट से जीत चुके हैं। देखना है कि डीएसपी पिता की बेटी और गैंगस्टर की पत्नी मंजू हुड्‌डा कांग्रेस के कद्दावर नेता और दो बार सीएम रह चुके भूपेंद्र हुड्‌डा को कितनी बड़ी चुनौती दे सकती हैं।

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