Ranchi : झारखंड के शिक्षा मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता रामदास सोरेन (Ramdas Soren) का 15 अगस्त 2025 को निधन हो गया। स्वतंत्रता दिवस के दिन दिल्ली के एक निजी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 62 वर्ष की उम्र में उनका यूं अचानक चले जाना झारखंड की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति मानी जा रही है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से घाटशिला विधानसभा क्षेत्र से लेकर पूरे कोल्हान और झामुमो संगठन में शोक की लहर दौड़ गई है।
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Ramdas Soren : 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से की राजनीतिक शुरुआत
रामदास सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष और सेवा का अद्वितीय उदाहरण रहा है। उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत 1980 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से की थी। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर कैबिनेट मंत्री तक के सफर में उन्होंने न केवल राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ीं, बल्कि समाजसेवा और जनसंघर्ष की अपनी छवि भी मजबूत की। ग्राम प्रधान के रूप में जनसेवा की शुरुआत करने वाले रामदास सोरेन ने घोड़ाबांधा पंचायत अध्यक्ष, सचिव और बाद में जमशेदपुर प्रखंड व अनुमंडल कमेटी के सचिव जैसे महत्वपूर्ण संगठनात्मक पदों पर भी काम किया।
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90 के दशक में जब जिला विभाजन हुआ, तब वे पूर्वी सिंहभूम के झामुमो सचिव बनाए गए। बाद में उन्होंने लगातार 10 वर्षों तक पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। झामुमो में जिलाध्यक्ष का टर्म ढाई साल का होता है, लेकिन रामदास सोरेन चार बार इस पद पर चुने गए, जिससे उनकी संगठन में पकड़ और लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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Ramdas Soren : अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में शिबू सोरेन के साथ डटे रहे
रामदास सोरेन पहली बार 2009 में घाटशिला विधानसभा सीट से विधायक बने। इसके बाद 2019 और 2024 में भी जनता ने उन पर भरोसा जताया। 30 अगस्त 2024 को उन्हें झारखंड सरकार में जल संसाधन एवं उच्च शिक्षा तकनीकी मंत्री बनाया गया था। बाद में उन्हें स्कूली शिक्षा मंत्री का जिम्मा सौंपा गया। मंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने कहा था कि नई सरकार जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी और जमीनी स्तर पर काम दिखेगा। लेकिन अफसोस, वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
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रामदास सोरेन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक जुझारू आंदोलनकारी भी थे। उन्होंने अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में शिबू सोरेन, चंपाई सोरेन, अर्जुन मुंडा, सुनील महतो और सुधीर महतो के साथ मिलकर अहम भूमिका निभाई थी। उनके खिलाफ झारखंड आंदोलन के दौरान बॉडी वारंट तक जारी हुआ था। इसके बावजूद वे डटे रहे और अंतिम समय तक जनसेवा में लगे रहे।
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Ramdas Soren : शिबू सोरेन और चंपाई सोरेन के बेहद करीबी माने जाते थे रामदास
वे शिबू सोरेन और चंपाई सोरेन के बेहद करीबी माने जाते थे। उनके निधन से घाटशिला विधानसभा क्षेत्र की जनता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं में गहरा शोक है।
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रामदास सोरेन अपने पीछे पत्नी सूरजमनी सोरेन, तीन पुत्र-सोमेन, रबिन और रूपेश-और एक पुत्री रेणुका को छोड़ गए हैं। उनका जाना झारखंड की राजनीति और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई निकट भविष्य में संभव नहीं दिखती।
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