पटना : बिहार में चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज यानी मंगलवार को उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही समापन हो गया। छठ व्रतियों ने सुबह की पहली किरणों में नदी-तालाबों के घाटों पर खड़े होकर दूध, जल और मौसमी फलों से सूर्य देव को नमन किया, जिसके बाद 36 घंटे से चला आ रहा निर्जला उपवास तोड़ा गया।

CM नीतीश ने अपने आवास पर उदीयमान भगवान भास्कर को किया अर्घ्य अर्पित
सीएम नीतीश कुमार ने भी आज लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर एक अणे मार्ग में उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया। इससे पहले सीएम ने एक्स पर पोस्ट कर लोगों को छठ महापर्व की शुभकामनाएं दी थी। उन्होंने लिखा कि लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं। लोक आस्था का यह महापर्व आत्मानुशासन का पर्व है, जिसमें लोग शुद्ध अंतःकरण और निर्मल मन से अस्ताचल और उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। महापर्व छठ के अवसर पर भगवान भास्कर से राज्य की प्रगति, सुख, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना है। आचार संहिता लगने की वजह से मुख्यमंत्री ने इस बार पटना के घाटों का भ्रमण नहीं किया।

दोनों डिप्टी सीएम के साथ चिराग पासवान ने भी उगते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य
आपको बता दें कि बिहार के दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने अपने-अपने जिले में उगते हुए सूर्य का अर्घ्य दिया। सम्राट चौधरी मुंगेर जिले के तारापुर तो विजय कुमार सिन्हा लखीसराय में उदीयमान भगवान भास्कर को अपने परिवार के साथ छठ पूजा मनाया। वहीं लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्य व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पटना स्थित अपने आवास पर परिवार के साथ छठ पूजा मनाया। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि सूर्योपासना के महापर्व छठ के पावन अवसर पर अंतिम अनुष्ठान ऊषा अर्घ्य के दौरान उदयमान सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया।

सम्राट ने महापर्व छठ के समापन पर तारापुर में उदीयमान सूर्यदेव को व्रतियों के साथ दिया अर्घ्य
डिप्टी सीएम व तारापुर से एनडीए प्रत्याशी सम्राट चौधरी ने चार दिवसीय अनुष्ठान के महापर्व छठ के समापन पर मुंगेर जिले के तारापुर में उदीयमान सूर्यदेव को व्रतियों के साथ अर्घ्य दिया। सूर्योपासना का यह अनुपम पर्व सनातन धर्म का अनोखी टहनी हैं, जिसमें सीधे प्रकृति से साक्षात्कार होता है। समस्त प्रकृति उपासक, पूजक, पोषक को भगवान् भास्कर मनोकामना पूर्ण करें। सृष्टि के ऊर्जा प्रदाता उदीयमान लोकदेव भगवान भास्कर बिहार के विकास को गति दें।

विजय सिन्हा ने उदीयमान भगवान भास्कर को व्रतधारी माताओं-बहनों के साथ अर्पित किया अर्घ्य
बिहार के डिप्टी सीएम व लखीसराय से एनडीए के उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा ने लोक आस्था का महापर्व छठ के समापन के अवसर पर उदीयमान भगवान भास्कर को व्रतधारी माताओं-बहनों के साथ अर्घ्य अर्पित किया। छठ महापर्व भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा का प्रतीक है, यह पर्व न केवल आस्था का उत्सव है, बल्कि सामाजिक सौहार्द, ऊंच-नीच के भेद को खत्म करने वाला आत्मसंयम, पर्यावरण-संतुलन और सामूहिकता का भी अद्भुत उदाहरण है। भगवान भास्कर से प्रार्थना है कि समस्त भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करें, जन-जन के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का प्रकाश फैलाएं। अस्त के बाद उदय और उदय के बाद अस्त इस महान पर्व का संदेश है। यह प्रक्रिया लोगों के भीतर के विकारों और बंधनों से मुक्त करता है। और आत्मविश्वास और आत्मशक्ति का संचार करता है।

किशनगंज के धर्मगंज घाट छठ पूजा में शामिल हुए दिलीप जायसवाल
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा के अवसर पर आज किशनगंज के धर्मगंज घाट पहुंचकर बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं को छठ पूजा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण वातावरण में उपस्थित छठ व्रतधारियों एवं श्रद्धालुओं के साथ उदयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। यह पर्व हमारी संस्कृति, निष्ठा और लोक आस्था का अद्भुत संगम है जहां परिवार, समाज और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना झलकती है। व्रती माताओं-बहनों की श्रद्धा, समर्पण और तप हमारे समाज की आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है। छठी मईया एवं भगवान भास्कर से यही प्रार्थना है कि वे सभी के जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और सौभाग्य का प्रकाश फैलाएं।

नहाय-खाय से उषा अर्घ्य तक की पवित्र यात्रा
आपको बता दें कि इस चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत पहले दिन नहाय-खाय से होती है, जब व्रतधारी सात्विक भोजन के रूप में दाल-चावल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन खरना का आयोजन होता है, जिसमें साठी चावल की खीर, रोटी और केले का प्रसाद बनाया जाता है, जिसे व्रतियों द्वारा ग्रहण करने के बाद परिजनों और आसपास के लोगों में वितरित किया जाता है। खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ होता है, जो तीसरे दिन षष्ठी को संध्या अर्घ्य और चौथे दिन सप्तमी को उषा अर्घ्य तक चलता है। सोमवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया गया था और आज सुबह दूसरा अर्घ्य अर्पित कर पर्व का भावपूर्ण समापन हुआ।
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