जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
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प्रयागराज : महाकुंभ में भगदड़ हादसे के कुछ सच अभी सामने आने बाकी…? महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या पर पुण्य स्नान के समय बीते मंगलवार और बुधवार के मध्य की रात हुए हादसे को लेकर अब तक जो भी जानकारियां एवं तस्वीर के अलावा शासन-प्रशासन के दावों के साथ ही भुक्तभोगी श्रद्धालुओं के जो बयान सामने आए हैं, उनसे साफ है कि पूरे मामले में कुछ ऐसा सच है जो अभी तक सामने नहीं आया है।
लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या वह सच्चाई या वे सच सामने आएंगे ? साथ ही यह कि हादसे से जुड़े कौन-कौन से और किस-किस तरह के सच सामने आ सकते हैं ?
इसमें सबसे अहम तो हादसे में मरने वाले श्रद्धालुओं की सही संख्या को लेकर है। अब यह बात साफ हो चली है कि महाकुंभ 2025 के भगदड़ हादसे को लेकर शासन – प्रशासन के स्तर पर जिन केवल 30 श्रद्धालुओं के मरने की बात कही जा रही है, असल में वह संख्या कुुछ तो ज्यादा ही रही होगी।
पोस्टमार्टम हाउस पर लगे 24 अज्ञात मृतक श्रद्धालुओं के पोस्टर
सबसे अहम बात यह है कि महाकुंभ भगदड़ हादसे में जान गंवाने वाले 24 अज्ञात श्रद्धालुओं के पोस्टर जारी हुए हैं। इन्हें प्रयागराज के पोस्टमार्टम हाउस पर लगाया गया है। इसके बाद इस आशंका को बल मिला है कि हादसे में जान गंवाने वालों की संख्या शासन-प्रशासन के दावों से कहीं ज्यादा रही।
वजह यह कि बीते गुरूवार को शासन स्तर पर हादसे में मरने वाले 30 में 25 के शिनाख्त होने का दावा किया गया था। यानि तब 5 मृत श्रद्धालुओं की शिनाख्त नहीं हो पाई थी लेकिन अब जारी 24 अज्ञात मृतक श्रद्धालुओं के पोस्टर कुछ और ही हकीकत को बयां कर रहे हैं।
महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या पर पुण्य स्नान के समय बीते मंगलवार और बुधवार के मध्य की रात हुए हादसे को लेकर अब जो हालात बने हैं, उसने कई सवाल शासन – प्रशासन के पहले के दावों पर खड़े कर दिए हैं। मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। उस भगदड़ के बाद सामने आईं तस्वीरों ने अंदर तक झकझोर दिया था।
अब तक इस हादसे में मारे जाने वालों की संख्या को लेकर कोई पुख्ता आंकड़ा नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रयागराज के पोस्टमार्टम हाउस (पीएम हाउस) में अब 24 अज्ञात मृतकों के चेहरे के पोस्टर चस्पा किए गए हैं जबकि पहले शासन – प्रशासन की ओर से हादसे में 30 के मरने और उसमें भी 5 की शिनाख्त न होने की बात कही गई थी।

अज्ञात 24 मृत श्रद्धालुओं के लगे पोस्टर भगदड़ के बताए किस्से पर बने सवाल…
प्रयागराज पोस्टमार्टम हाउस (पीएम हाउस) के बाहर लगे पोस्टरों से कई तरह के सवाल स्वाभाविक तौर पर खड़े होने लगे हैं। साथ ही भगदड़ को लेकर भी नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इनको जानने के बाद लग रहा है कि कहीं महाकुंभ मेला प्रशासन कुछ छिपा तो नहीं रहा है ? आखिर प्रशासन मरने वाले लोगों की संख्या को तो नहीं छिपा रहा ?
प्रयागराज पीएम हाउस के बाहर लगाए अज्ञात मृतकों के चेहरे के पोस्टर लगने के बाद से भगदड़ में मौनी अमावस्या को अपनों को खो चुके परिवारीजन यहां पहुंच रहे हैं लेकिन पोस्टर में लगे हर चेहरे को बारीकी से निहारने के बाद निराश – हताश हो जा रहे हैं क्योंकि इसमें से कोई उनका अपना नहीं है।
ऐसे में फिर से वही सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या भगदड़ हादसे में मरने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बताई गई संख्या कहीं ज्यादा थी ? प्रशासन को हादसे में जान गंवाने वालों श्रद्धालुओं की अद्यतन सही जानकारी नहीं है ? स्थानीय मेला प्रशासन शासन का कोपभाजन बनने से बचने के लिए हादसे की असल कहानी और तथ्य से भटका तो नहीं रहा ?
बता दें कि इन पोस्टरों के जरिए प्रशासन मृतकों की पहचान में लगा हुआ है, तो वहीं दूसरी तरफ कई लोग अपने परिवार के लोगों की तलाश में लगे हुए हैं। इन पोस्टरों के लगाए जाने के बाद से ही लोग अपनों की तलाश में पीएम हाउस पहुंच रहे हैं। फिलहाल पोस्टर के किसी भी मृतक की पहचान नहीं हो सकी है।

झूंसी के सेक्टर-21 में भी भगदड़ और 10 मौतों की बात को शासन ने किया खारिज
महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या के दिन एक नहीं बल्कि दो जगहों पर भगदड़ मचने की कहानी भी सामने आई लेकिन शासन-प्रशासन ने उसे सिरे से खारिज कर दिया है। हादस को लेकर यह बात भी सामने आई थी कि बीते मौनी अमावस्या के दिन सुबह करीब 4 बजे झूंसी के सेक्टर-21 में भी भगदड़ मची थी। उसमें 10 लोगों की जान जाने की बात भी सामने आई थी।
फिलहाल झूंसी के सेक्टर-21 की घटना पर अब तक महाकुंभ प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। कोई भी अधिकारी कुछ नहीं बोल रहा है। झूंसी की खबर सुर्खियों में आई तो महाकुंभ पुलिस-प्रशासन सक्रिय हुआ और आनन-फानन में महाकुंभ डीआईजी वैभव कृष्ण सामने आए। उन्होंने झूंसी की घटना से इनकार कर दिया। महाकुंभ डीआईजी वैभव कृष्ण ने कहा कि झूंसी में किसी प्रकार की कोई घटना नहीं है। हादसा केवल संगम नोज पर हुआ है।
डीआईजी वैभव कृष्ण भले ही इस घटना से इनकार कर रहे हैं, लेकिन प्रयागराज पोस्टमार्टम हाउस पर लगे अज्ञात मृत श्रद्धालुओं के पोस्टर में अपनों की तलाश में पहुंच रहे भुक्तभोगियों के बयानों ने सवाल तो खड़ा कर ही दिया है। क्या महाकुंभ में दो जगहों पर भगदड़ मची थी? भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मौके पर झूंसी वाली घटना का प्रशासन को पता ही नहीं चला? या संगम नोज की घटना की वजह से झूंसी की घटना पर किसी ध्यान ही गया? इन सबके बीच एक बड़ा सवाल यह है कि महाकुंभ प्रशासन कहीं कुछ छिपा तो नहीं रहा है?