तानाशाह की भाषा बोलते हैं सीएम नीतीश कुमार
पटना : बिहार के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने सीएम नीतीश कुमार पर बड़ा हमला करते हुए
कहा कि मुख्यमंत्री बिहार को आपातकाल की तरफ ले जा रहे हैं.
सीएम नीतीश क़ुमार एक तानाशाह की भाषा बोलते हैं.
नीतीश सरकार विधानसभा की कार्यवाही भी अपने हिसाब से चलाती है.
विरोधी और सत्ताधारी दल के विधायकों की भी बात नहीं सुनते हैं.
कृषि के लाए हुए विधेयक पर भी चर्चा नहीं कराना चाहत हैं.
नये कृषि विधेयक को लेकर 38 जिलों में जनसभा करेंगे सुधाकर सिंह
पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह आने वाले समय में बिहार के 38 जिलों में जनसभा कर
नये कृषि विधेयक के बारे में किसानों को जागरूक करेंगे.
साथ ही साथ सरकार की नीतियों का भी पोल खोलने का काम करेंगे.
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बिहार में कार्यपालिका, विधायिका की बात अधिकारी नहीं सुन रहें है.
इस सरकार में किसानों की हितों की बात नहीं हो पा रही है. इसके लिए बजट सत्र से पहले सभी जिलों में घूमकर किसानों से राय लिया जायेगा. साथ ही जनसभा कर लोगों को जागरूक किया जाएगा.
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विधायकों को धमकाने की कोशिश
राजद नेता सुधाकर सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा सत्र के दौरान विधायकों को धमकाने की कोशिश कर रहे थे. कई वाम दलों के विधायकों को पूछने पर रोका जाता था. उन्होंने कहा कि गरीबों, किसानों, व्यापारियों का सवाल एक तो सत्र के दौरान आते नहीं, अगर आ भी गया तो उसपर 10 प्रतिशत से ज्यादा बहस नहीं होती.
सुधाकर सिंह ने स्पीकर की ये मांग
उन्होंने विधानसभा के स्पीकर से मांग किया कि हमारी पांच मांगे हैं. जिनमें बिहार विधानसभा का सत्र न्यूनतम 60 दिन, और भारत सरकार ने जो कमिटी बनाई थी उसके हिसाब से न्यूनतम 90 दिन है. यह परंपरा पहले रहा है. पहले भी इस राज्य में 70-75 दिन सत्र चलते रहे हैं.
दूसरी मांग ये है कि जो हम सवाल सत्र के दौरान करते हैं वो कार्यपालिका और सरकार के द्वारा आगे नहीं बढ़ता है तो उसके लिए एक कमिटी बनाया जाय और निष्पादन होना चाहिए. जो जनता के लिए झूठ बोलेगा उसको दंडित किया जाय. तीसरी मांग है समयबद्ध तरीके और पारदर्शिता से काम होना चाहिए,
जो ऐसा नहीं करते है उसपर कार्रवाई होनी चाहिए. चौथी मांग ये है कि बिहार विधानसभा के भीतर जो नियमावली बनाई गयी है वो सख्ती के साथ पालन हो. और हमारी अंतिम मांग ये है कि जो भी विधेयक लायी जाती है उसे 15 दिन पहले इसकी कॉपी विधायक को दी जाय, ताकि सदन में अपनी बातों को रख सके.
रिपोर्ट: राजीव कमल