रांची:कृषि उपज पशुधन विपणन विधेयक 2022 के खिलाफ व्यवसायियों ने फरवरी में आंदोलन किया था. जिसके बाद कृषि मंत्री ने व्यापारियों को आश्वसत किया था कि व्यासायियों के विचार विमर्श के बाद विधेयक तैयार किया जायेगा. जिसमें व्यापारियों के सुझाव शामिल किये जायेंगे.
जिसके बाद व्यवसायियों ने विधेयक वापस ले लिया. लेकिन अभी तक इस पर कोई पहल नहीं की गयी. चैंबर ऑफ कॉर्मस के अध्यक्ष किशोर मंत्री ने बताया कि अप्रैल महीने में कृषि विभाग की ओर से मामले में बैठक की तारीख तय की गयी थी. इस संबध में चैंबर ऑफ कॉर्मस को पत्र दिया गया था. लेकिन इस पत्र को विभाग ने वापस ले लिया. इसके पीछे अपरिहार्य कारण बताया गया.
इसके बाद विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गयी और न ही बैठक की तारीख तय की गयी. बता दें व्यापारियों के आंदोलन को झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स नेतृत्व कर रहा था. ऐसे में चैंबर की अगुवाई में व्यवसायी बैठक में शामिल होंगे. कृषि विपणन बिल को लेकर राज्य में दो बार व्यापारियों का आंदोलन हो चुका है. साल 2022 के मार्च महीने में व्यापारियों ने पहला आंदोलन किया. तब राज्यपाल ने बिल वापस किया. इसके बाद फिर से साल 2022 के दिसंबर में आयोजित शीतकालीन सत्र में सरकार ने बिल को मंजेरी दी.
जिस पर आंदोलन तेज हुआ. वहीं, इस साल फरवरी में व्यापारियों ने आंदोलन किया. सरकार के आश्वासन के बाद आंदोलन वापस लिया गया. बता दें इस दौरन कृषि मंत्री ने व्यापारियों को आश्वासन दिया था कि बैठक कर व्यवसायियों की आपत्ति पर विचार करते हुए विधेयक में संशोधन किया जायेगा. व्यापारियों का मत है कि केंद्र सरकार के प्रावधानों का हवाला देते हुए किसानों और व्यापारियों के शोषण के लिये बिल तैयार किया गया है. व्यापारियों का कहना है कि कृषि शुल्क लागू होने से किसानों को मिलने वाला मुनाफा कम हो जायेगा. ऐसे में उत्पाद शुल्क कम हो जायेगा. जिससे किसानों को नुकसान होगा.
व्यापारियों ने विधेयक को किसान, व्यापारी और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के हित में नहीं बताया है. व्यापारियों में शुल्क के रूप में जो अतिरिक्त टैक्स बढ़ेगा उसकी भरपाई व्यापारी उपभोक्ताओं से करेंगे. ऐसे में बाजार में खाद्यान्न कीमतें बढ़ने की संभावना है.