धनबाद: मानव की मूलभूत आवश्यकताओं में से रोटी, कपड़ा और मकान का जिक्र होता है. इसी मुद्दे पर पिछले 70 सालों पर भारत में राजनीति भी होते आयी है. लेकिन किसी को रोटी नसीब नहीं, तो कोई फटेहाल नजर आता है. एक छत की तलाश में कोई मजबूर खपरैल के नीचे जीवन बीताने को मजबूर हो जाता है.
सिंदरी विधानसभा के बलियापुर प्रखंड के घड़बड़ पंचायत मे बांधटांड़ टोला है. इस गांव के ग्रामीण जर्जर आवास में रहने को मजबूर हैं. किसी के घर का छत टूटा हुआ है, तो किसी की दिवारों में दरारें हैं, कोई खपरैल के घर में रहने को मजबूर है, तो कोई मिट्टी का आशियाना बनाए बैठे हैं. इन्होंने मतदान का प्रयोग कर मुखिया सहित कई जनप्रतिनिधियों को चुना है. लेकिन सरकार की योजना इन तक नदारद ही पहुंच पाती है. जहां एक ओर प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत ग्रामीणों को आवास मुहैया कराया जा रहा है. वहीं इस टोला में आज भी कुछ जर्जर इंदिरा आवास नजर आ जाएंगे.
इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि कई साल पहले यहां के लोगों को इंदिरा आवास योजना के तहत कुछ आवास मिले थे. जो कि जर्जर हो चुके हैं. यहां की ग्रामीण जनता अब प्रधानमंत्री आवास योजना की मांग कर रही है. उन्होंने बताया कि ग्रामीण आवास को लेकर वे जनप्रतिनिधी से लेकर प्रशासनिक पदाधिकारियों को आवेदन दे चुके हैं. लेकिन अबतक गिने-चुने लोगों को ही प्रधानमंत्री आवास का लाभ मिल पाया है. कुछ ग्रामीण कहते हैं कि वहां के मुखिया प्रधानमंत्री आवास आवंटन के नाम पर पैसे की वसूली में लगे हैं.
ग्रामीणों के अनुसार वहां के मुखिया का कहना है कि जिन्हें आवास की स्वीकृति मिलती है. उन्हें आधा पैसा मुखिया को देना होगा. बलियापुर प्रखंड के कई क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास के नाम पर लूट-खसोट जारी है. जिसपर स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों के जरिए कार्रवाई जरूरी है.
रिपोर्ट- अनिल मुंडा