जनार्दन सिंह की रिपोर्ट
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वाराणसी : पीएम मोदी के नेतृत्व में आया भारतीय सभ्यता, संस्कत, सनातन धर्म का समय, काशी में बोले CM Yogi। रविवार को वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत मंडप समारोह में यूपी के CM Yogi आदित्यनाथ काफी अहम सियासी बयान दिया।
अपने संबोधन में CM Yogi ने कहा कि –‘बहनों-भाइयों, अब मुझे लगता है कि ये समय प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय सभ्यता, संस्कृति, सनातन धर्म और भारत का समय आ गया है। और भारत को यह नेतृत्व देने के लिए संस्कृत को अपने आप को तैयार करना होगा’।
‘पीएम के प्रयासों का केंद्र बने काशी- यह समय की आवश्यकता..’
CM Yogi आदित्यनाथ ने आगे कहा कि – ‘विरासत को विकास के साथ जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में देश के अंदर जो अभिनव प्रयास हुए हैं, उसका केंद्र बिंदु फिर से हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी काशी बने। काशी से संदेश फिर से जाए – यह आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
…संस्कृत केवल देववाणी ही नहीं है बल्कि भौतिक जगत के तमाम समस्याओं को सुलझाने का माध्यम भी बने, इस पर शोध करने के विशिष्ट कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
…और हमने कहा है कि प्रदेश भर में युद्धस्तर पर ऐसे विद्यालय खोलिए जो गुरुकुल की परंपरा को पुनर्जीवित कर सकें। …क्योंकि ये परंपरा ही हमारी वास्तविक ताकत है। इस परंपरा ने ही भारत को विश्वगुरू के रूप में स्थापित किया है।
इस परंपरा के कारण ही विपरीत परिस्थितियों में भी भारतीय संस्कृति…हमारी सनातन संस्कृति तमाम झंझावातों का मुकाबला करते हुए भी आज जीवित बनी हुई है…सुरक्षित है और दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए आज प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में उठ खड़ी हुई है’।

CM Yogi बोले – भारत का सबसे बड़ा खजाना है – संस्कृत भाषा और साहित्य
CM Yogi आदित्यनाथ का रविवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में काफी गूढ़ रहा। इसे लेकर तुरंत सियासी हलकों में चर्चा भी शुरू हो गई है।
CM Yogi ने अपने संबोधन में आगे कहा कि – ‘सज्जनों, जब हम संस्कृत की बात करते हैं तो मैं यहां महर्षि अरविंदो की कुछ बात रखना चाहता हूं। महर्षि अरविंदों के मुताबिक, संस्कृत भाषा और साहित्य भारत का सबसे बड़ा खजाना है। यह एक शानदार विरासत है। और जब तक हमारे लोगों के जीवन को प्रभावित करती है तब तक भारत की मूल प्रतिभा बनी रहेगी।
…दुनिया का हर वह व्यक्ति जो मानवता का पक्षधर है, जो वास्तव में सर्वांगीण विकास का पक्षधर है, वह संस्कृत का हिमायती है। आज की आधुनित तकनीक चाहे वह कंप्यूटर साइंस हो या फिर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) – ने स्वीकार किया है कि इसकी सबसे सरल और सहज माध्यम कोई भाषा बन सकती है तो वह संस्कृत है।
…संस्कृत को अगर समझना है तो सामूहिक स्वास्ति-वाचन, मंगलाचरण, वैदिक मंगलाचरण के वाचन के गुंजायमान होने वाले स्वरों के अंत:करण में स्वयं को समाहित करना पड़ेगा। …और वही जब श्रद्धा भाव के साथ इस स्वर से तारतम्य स्थापित करेगा तो संस्कृत की ऊर्जा और संस्कृत के महत्ता की जानकारी हो पाएगी।
…और इसी ऊर्जा से समस्त उत्तर प्रदेश ओतप्रोत हो, इस ऊर्जा से ओतप्रोत उत्तर प्रदेश के युवाओं की फौज खड़ी हो और हर सनातन धर्मावलंबी इस ऊर्जा के साथ आप्लावित हो सके, इस दृष्टि से इस समारोह के साथ हम दीपावली से पहले देश के सबसे प्राचीन डॉ. संपूर्णानंद के नाम पर स्थापित इस संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ जुड़ रहे हैं।
… जितनी प्राचीन परंपरा, उतने ज्यादा पर्व और त्यौहार। आखिर पर्व त्यौहार उन्हीं के ज्यादा होंगे, जिनकी विरासत प्राचीन होगी। अभी धनतेरस…धनतरेस जयंती से लेकर के आगे छठ पर्व तक लगातार पर्व-समारोह होते ही दिखाई देंगे। सर्वत्र एक उल्लास होगा…खुशी होगी…और यह खुशी संस्कृत और भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग रखने वाले हर व्यक्ति में दिखनी भी चाहिए’।

CM Yogi की घोषणा – संस्कृत में पीएचडी करने वालों को जल्द विशिष्ट स्कॉलरशिप देना शुरू करेगी यूपी सरकार
CM Yogi आदित्यनाथ ने इसी क्रम में संस्कृत भाषा और साहित्य को लेकर गैर भाजपाई सरकारों के शासनकाल में रही हालत का जिक्र किया एवं संस्कृत में अध्ययन को लेकर नई घोषणाएं भी कीं।
CM Yogi ने कहा कि – ‘…गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति होनी चाहिए…वंचित छात्रों को छात्रवृत्ति मिली चाहिए, यह अभिनंदनीय प्रयास हुआ है…लेकिन संस्कृत को इससे क्यों उपेक्षित किया गया, ये मैं नहीं समझ पाया।
अभी तक संस्कृत के केवल 300 बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी और उसके लिए भी छात्रों को पता नहीं था। कोई आवेदन नहीं कर पाता था। कुल 300…?…25 करोड़ की आबादी है…। मैं आश्चर्य करता था।
…सन 2001 में संस्कृत परिषद बनी लेकिन परिषद को मान्यता नहीं मिली लेकिन छात्रों का प्रवेश होता रहा। कभी प्रयास नहीं हो पाया कि संस्कृत परिषद को हम मान्यता दिला पाएं। लेकिन संस्कृत परिषद को मान्यता तब मिल पाई जब हम लोगों की सरकार 2017 में उत्तर प्रदेश में आई।….लेकिन एक उपेक्षा का भाव जो देखने को मिला था, याद है ना ?
…पहले तो स्कॉरशिप कम मिलती थी और उसमें भी आय सीमा बांध दी गई ? …हमने कहा कि नहीं, ये आय सीमा नहीं होनी चाहिए, सबको स्कॉलरशिप मिलनी चाहिए। उत्तर प्रदेश में जितने संस्कृत के बच्चे हैं, सबके फार्म भरवाने हैं और सबको स्कॉलरशिप उपलब्ध करवानी है। इसके लिए हर संस्थान को लगना पड़ेगा।
…जब आज के चकाचौंध भरी दुनिया में हर व्यक्ति भौतिकता के पीछे भाग रहा है, तब भी उत्तर प्रदेश में डेढ़ लाख बच्चे ऐसे हैं जो संस्कृत के साथ जीवन समर्पित करते हुए भारतीय संस्कृति के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
स्वाभाविक रूप से इनका संरक्षण करना शासन का दायित्व होना चाहिए, समाज का दायित्व होना चाहिए…और सरकार अपने उसी उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के लिए आज आपके पास आई है, आपके द्वार आई है।
…हम अब यह व्यवस्था करने जा रहे हैं कि हम मदद (एड) उन्हीं को देंगे जो संस्कृत संस्थान अपने यहां छात्रों के लिए नि:शुल्क छात्रावास और खानेपीने की व्यवस्था करेंगे। जहां पर भी कोई व्यक्ति, आश्रम या न्यास अच्छा छात्रावास देगा, विद्यालय देगा और खानेपीने की नि:शुल्क व्यवस्था देगा, वहां अनुदान देकर वहां अच्छे आचार्यों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्रता भी देंगे।
संस्कृत में विशिष्ट शोध करने वालों के लिए हम एक विशिष्ट स्कॉलरशिप की घोषणा करने जा रहे हैं। यह 2 से 3 वर्ष के लिए होगा ताकि शोधार्थी बिना किसी चिंता के शोध कार्य कर सके।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पुरातन गौरव को पुनर्स्थापित करना है। इसे आगे बढ़ाना है। इसमें सरकार पूरा संरक्षण देगी, मदद करेगी और कुलपति से इसके लिए पूरी कार्ययोजना बनाकर देने को कहा है’।
कार्यक्रम में यूपी के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, स्टांप – रजिस्ट्रेशन मंत्री रवींद्र जायसवाल, आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु, डॉ. नीलकंठ तिवारी, विधायक त्रिभुवन राम, सौरभ श्रीवास्तव, सुनील पटेल, एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष डॉ. नागेंद्र पांडेय, काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी, महंत शंकर पुरी, सतुआ बाबा आश्रम के महामंडलेश्वर महंत संतोष महाराज, पातालपुरी मठ के महंत बालक दास महाराज आदि मौजूद थे।