झामुमो के नेताओं के लिए यह बड़ा सबक,पार्टी में रहना है तो पालकी ही ढोनी पड़ेगी – बाबूलाल मरांडी

झामुमो के नेताओं के लिए यह बड़ा सबक,पार्टी में रहना है तो पालकी ही ढोनी पड़ेगी - बाबूलाल मरांडी

झामुमो के नेताओं केलिए यह बड़ा सबक,पार्टी में रहना है तो पालकी ही ढोनी पड़ेगी.

  • शिबू सोरेन परिवार से बाहर का आदिवासी केवल काम चलाऊ.
  • सत्ता पर एकाधिकार मानता है शिबू सोरेन परिवार.
  • मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को पद पर रहते हुए बार बार किया अपमानित.
  • आज कोल्हान के टाइगर को चूहा बना दिया गया.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने झामुमो कांग्रेस राजद विधायक दल की बैठक में आज हेमंत सोरेन को फिर नेता चुने जाने पर बड़ा निशाना साधा। पालकी ही ढोनी पड़ेगी

श्री मरांडी ने कहा कि झामुमो में शिबू सोरेन परिवार से बाहर का आदिवासी केवल काम चलाऊ है। शिबू सोरेन परिवार जब जैसा चाहे उसका उपयोग करेगा और फिर उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल फेंकेगा।

उन्होंने कहा कि 5 महीना पहले परिवारवाद से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री चुनने की बात करने वाले झामुमो का आज फिर असली चेहरा उजागर हो गया। पालकी ही ढोनी पड़ेगी पालकी ही ढोनी पड़ेगी पालकी ही ढोनी पड़ेगी

श्री मरांडी ने  कहा कि यह झामुमो के अन्य आदिवासी नेताओं केलिए यह सबक है। उन्हें अपनी सीमा रेखा समझ लेनी चाहिए ।उन्हें समझ लेना चाहिए कि वे केवल शिबू सोरेन परिवार की पालकी ढोने केलिए हैं। ऊंची उड़ान भरना उनके नसीब में नहीं।

श्री मरांडी ने कहा कि चंपई सोरेन जी आज राज्य के मुख्यमंत्री हैं लेकिन पद पर रहते हुए उन्हें बार बार अपमानित किया गया। आज बैठक की अध्यक्षता करने के बावजूद उन्हें किनारे बैठाया गया।इसके पूर्व लोकसभा चुनाव के दौरान रांची में हुई इंडी एलायंस की रैली में भी उन्हें मंच पर किनारे जगह दी गई जबकि परिवार की बहु कल्पना सोरेन बिना कोई पद के भी मंच के बीच में बैठी। यहां तक कि चंपई सोरेन के भाषण के बीच ही मंच पर उपस्थित पार्टी के नेता उठकर जाने लगे थे।

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पालकी ही ढोनी पड़ेगी
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