नवादा : भारत में लोकतंत्र जिंदा कैसे है इसका उदाहरण आज रजौली के पंचायत चुनाव में देखने को मिला. उत्साहित मतदाता पैसा खर्च कर और जान जोखिम में डालकर नाव पर सवार होकर वोट देने बूथ पर पहुंचे. तस्वीर देख आपको पता चल जायेगा कैसे यहां के मतदाताओं ने फुलवरिया जलाशय में नाव पर सवार होकर वोट देने पहुंचे. बता दें कि नाव पर सवार होने के लिए मतदाताओं ने 50 रुपए लिया गया. दरअसल, घने जंगल के बीच बसे पिछली जमुंदहा गांव का बूथ सतगिर गांव में शिफ्ट कर दिया गया है. यहां परतौनिया गांव के भी मतदाता वोट देते हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण बूथ को स्थानांतरित कर दिया गया है. मतदाताओं ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मतदान के लिए अधिकारियों ने कोई व्यवस्था नहीं की. अपना पैसा खर्च कर वोट देने के लिए गए.
लगभग 6 किलोमीटर दूरी तय कर मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे. सभी मतदाता सुदूर जंगल में अवस्थित कर्तनिया गांव के हैं. इससे पहले कौवाकोल प्रखंड में भी चुनाव के दौरान मतदाता 4 पहाड़ों को पार कर पैदल चलकर अपना मताधिकार का प्रयोग करने आए थे.
प्रशासन की ओर से मतदाताओं को बूथ तक लेकर जाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी. अधिकारियों को सूचना दी गई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. कहीं सुनवाई नहीं हुई तो मोहल्ले के लोग भाड़े पर नाव कर मतदान करने गए. वोटरों का कहना है कि हमारे क्षेत्र में विकास की गति क्या है, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. शिकायत करने के बाद भी अधिकारी संज्ञान नहीं लेते. ऐसा लगता है कि भौतिक सत्यापन किए बिना ही मतदान केंद्र बना दिया गया. चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी नहीं है.
रिपोर्ट : अनिल शर्मा
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