PATNA: तेजस्वी : बिहार की सियासत में इन दिनों उथल-पुथल मची है. कहानी में रोज-रोज नया ट्विस्ट आ रहा है. एक्शन खत्म नहीं होता कि रिएक्शन सामने आ जाता है. अभी तो जदयू से अलग होकर उपेंद्र कुशवाहा की नई पार्टी बनाने को लेकर चर्चा ठंढ़ी भी नहीं पड़ी थी, लेकिन इसी बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नया एपिसोड सामने आ गया. हुआ यूं कि नया कृषि रोड मैप बनाने को लेकर पटना के बापू सभागार में सरकार की ओर से किसान समागम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम सुबह 11 बजे प्रारंभ होना था.

क्या ये ललन सिंह का साइड इफ़ेक्ट है
मुख्यमंत्री तो समय पर पहुंच गए. सरकार के कई मंत्री औऱ अधिकारी भी मौजूद थे परन्तु मुख्यमंत्री की बगल में रखी उप मुख्यमंत्री की कुर्सी खाली दिखी. एक घंटा बीता, दो घंटा बीता लेकिन तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे तो चर्चा का बाजार गर्म होने लगा. इसी बीच तेजस्वी कार्यक्रम में पहुंच गए. हालांकि इसके बाद भी माहौल में तनाव दिखा . खासकर नीतीश कुमार के चेहरे से मुस्कुराहट गायब रही.
सियासी हलकों में तेज हो गई कानाफूसी

घटना के बाद से सूबे के सियासी हलकों में कानाफूसी तेज हो गई. नीतीश और तेजस्वी के बीच के संबंध को लेकर कयास लगने शुरू हो गए हैं. राजनीति पर नज़र रखने वाले कई जानकार इसे जदयू अध्यक्ष ललन सिंह के बयान का साइड इफेक्ट के तौर पर देख रहे है.
उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी से अलग होने के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ललन सिंह ने तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर बयान दिया था. उन्होने कहा था जदयू का राजद में विलय नहीं होने वाला है. मुख्यमंत्री बदलने के सवाल पर ललन सिंह ने कहा था कि 2025 तक नीतीश कुमार ही सीएम रहेंगे. इसके बाद कौन बनेगा वो बाद में देखा जाएगा.
‘नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से तेजस्वी यादव के नेतृत्व की बात कही थी’
आपको याद दिला दें कि पिछले दिनों नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि महागठबंधन 2025 में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़ेगा. उनके इसी बयान को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने सवाल उठाते हुए नीतीश कुमार पर राजद से गुप्त समझौता करने का आरोप लगाया और कहा कि जदयू का राजद में विलय की तैयारी है. इसी मुद्दे को लेकर कुशवाहा आखिरकार पार्टी से अलग हो गए और अपनी नई पार्टी बना ली.
रिपोर्ट : राजीव कमल