रांची : झारखंड में स्थानीय वहीं होंगे, जिनके पास 1932 का खतियान होगा.
कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में इस पर मुहर लगा दी गई है.
इसमें कहा गया है कि 1932 के खतियान के आधार पर अब स्थानीयता की परिभाषा तय की जाएगी.
इस पर कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो और
गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी है.
1932 खतियान: निशिकांत दूबे ने उठाया सवाल
गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने इस फैसले पर सवाल उठाया है.
उन्होंने ट्वीट कर झारखंड सरकार के कई मंत्रियों से पूछा कि 1932 खतियान के अनुसार
झारखंड के मंत्री चम्पई सोरेन, बन्ना गुप्ता, मिथलेश ठाकुर, हफीजूल अंसारी, आलमगीर आलम, जोबा मांझी
सहित कई मंत्री सरकार में रहने लायक़ नहीं है.
सरायकेला, मधुपुर 1956 में हमारे पास आया, इसके पहले यह उड़ीसा, बंगाल का हिस्सा था.
पाकुड़ का सर्वे नहीं हुआ. शहर में रहने वाले कोई भी 1932 के खतियान नहीं है.
विभिन्न जिलों का सर्वेक्षण अलग-अलग- निशिकांत दूबे
निशिकांत दूबे ने कहा कि विभिन्न जिलों के लिए अंतिम सर्वेक्षण और समझौता अलग है.
जैसे दालभूम के लिए यह 1906 से 1911 के बीच था. 1925 से 1928 के बीच सरायकेला के लिए. 1908 से 1915 के बीच हजारीबाग के लिए, और 1913 से 1920 के बीच पलामू के लिए अलग सर्वेक्षण. सिंहभूम जिले के अंतिम गजट से ऐसा प्रतीत होता है कि चांडिल, पटमदा और ईशागर पुलिस स्टेशनों के क्षेत्र जो मानभूम (पश्चिम बंगाल) जिले में थे, उन्हें वर्ष 1956 में सिंहभूम जिले में एकीकृत किया गया था. राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के परिणामस्वरूप सरायकेला और खरसावा जो उड़ीसा राज्य का हिस्सा थे, उन्हें वर्ष 1948 में सिंहभूम जिले में एकीकृत किया गया था.
1932 खतियान: जगरनाथ महतो ने बीजेपी पर साधा निशाना
वहीं शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने बिना नाम लिये बीजेपी पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा कि मैं हर्ष और प्रसन्नता से कुछ नहीं बोल पा रहा हूं. परंतु विपक्ष क्यों मौन है ? आइए मिलकर खुशी मनाएं और 1932 आधारित स्थानीयता लागू हो, इसमें बढ़-चढ़कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का साथ दें.
शिक्षा मंत्री ने अन्य ट्वीट में तंज कसते हुए कहा कि जवाब है उन्हें.. जिन्होंने ने सवाल उठाया था ! जवाब है उन्हें ..जिन्होंने ने 1985 बनाया था ! जवाब है उन्हें.. जिन्होंने मुझे जेल भिजवाया था. 14 सितंबर 2022 का दिन यह स्वर्णिम है. हम कभी नहीं भूलेंगे. 22 वर्षों के संघर्ष और अनंत बलिदान के बाद 2022 में 32 तक पहुंचे हैं. हम आदिवासी सह मूलवासी भाई बहनों की पहचान 1932 का खतियान.
कुमार जयमंगल ने मूलवासी और आदिवासी को दी बधाई
कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल ट्वीट कर झारखंड के मूलवासी और आदिवासी को बधाई देते हुए लिखा है कि झारखंड सरकार के कैबिनेट के द्वारा 1932 खतियान को मंजूरी देकर के यह साबित कर दिया है कि सरकार ने जो वादे किए थे, वह हर हाल में पूरा किया. कैबिनेट के इस निर्णय पर झारखंड के तमाम जनता, मूलवासी, आदिवासी भाइयों को बहुत-बहुत बधाई. वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने आरक्षण पर एक अति महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए, झारखंडी आदिवासी भाइयों के लिए 28 प्रतिशत, ओबीसी भाइयों के लिए 27 प्रतिशत व दलित भाइयों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया है. इस निर्णय के लिए झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कैबिनेट के सभी मंत्रियों को बधाई.
1932 खतियान: झारखंड कैबिनेट में दो बड़े फैसले
बता दें कि 1932 खतियान के अलावा सरकार ने आरक्षण में भी भारी बढ़ोतरी की है. अनुसूचित जातियों का आरक्षण 10 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति का 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत और ओबीसी का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने पर भी मुहर लगा दी. इस तरह अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए तय 10 प्रतिशत आरक्षण को मिलाकर राज्य में कुल 77 प्रतिशत आरक्षण होगा. अब इन दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित कराया जाएगा. फिर इसे सहमति के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा. राज्यपाल की मंजूरी मिलने पर दोनों विधेयकों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को भेजा जाएगा. केंद्र की स्वीकृति के बाद नए सिरे से परिभाषित स्थानीयता और आरक्षण में बढ़ोतरी का प्रावधान लागू हो जागए. नौवीं अनुसूची में शामिल होने पर मामला कोर्ट में नहीं जा सकता.