चैनपुर: चैनपुर अनुमंडल माता रानी के भक्ति भाव में रंगा हुआ है। पूरे क्षेत्र में माता के गीतों की गूंज और भक्ति का माहौल है। हर कोई भवानी के दर्शन पान में लगे हुए हैं। पूरा क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। चैनपुर अनुमंडल मुख्यालय में सन 1958 में मां की पूजा शुरू की गई थी। उस वक्त मात्र पूरे चैनपुर अनुमंडल क्षेत्र में चैनपुर में ही पूजा होती थी। इसकी शुरुआत काशीनाथ पंडित के द्वारा की गयी थी। जो एक एक शिक्षक भी थे। उस समय न तो मंदिर बना था ना ही कोई पंडाल।
चैनपुर में गूंज रहे माता रानी के गीत
उस वक्त माता की फोटो को रखकर पूजा की शुरुआत की गई थी। उस समय पूजा में पंडित जी के साथ रामयाद साव, शिवचरण प्रसाद, कारू राम, बुधराम भगत, रामेश्वर सिंह, भगन साव, सीटू बैगा, सोहन बैगा आदि लोग के द्वारा पूजा आरंभ की गई थी। बाद में सन 1967 में मंदिर का निर्माण कर समिति का गठन किया गया था। तत्पश्चात यमुना केसरी के संरक्षण में भव्य तरीके से मां शेरावाली की पूजा अर्चना कराई गई और तब बंगाल से मूर्तिकार को बुला कर मूर्ति निर्माण करा कर पूजा की गईं।
उस समय पंडित स्व. रघुनंदन पाठक के द्वारा पूजा संपन्न कराया गया और जजमान का कार्य स्व. विश्वनाथ बैगा के द्वारा किया जाता रहा। उस समय गांव देहात के कई लोक नृत्य, पूजा मंडली में पुजा में भाग लेते थे और शाम में चैनपुर पहुंच कर रात भर अपने लोकनृत्य से लोगों का मनोरंजन कराते हुए सुबह कर देते थे। उसके बाद पूजा समिति के द्वारा उन्हें पुरस्कृत किया जाता था। फिर वे लोग अपने गाजा–बाजा के साथ पूरे चैनपुर में नाचते गाते अपने गांव चले जाते थे, जो बहुत ही मनमोहन दृश्य हुआ करता था और त्योहार को काफी दिलचस्प कर दिया करता था।
उस समय माता की विसर्जन में भी आज की तरह गाड़ी नहीं हुआ करती थी। समिति के लोग मूर्ति को अपने कंधे में उठाकर विसर्जन के लिए ले जाया करते थे, जो अपने कंधे में उन्हें लेकर पूरे क्षेत्र का भ्रमण कर कर विसर्जन करते थे, लेकिन समय के साथ-साथ परिवेश बदलता गया। आज चैनपुर दुर्गा पूजा समिति अपना अलग पहचान बना चुकी है। दुर्गा पूजा के अवसर पर चैनपुर दुर्गा मंदिर परिसर में आकर्षक साज सज्जा लाईट डेकोरेशन भक्तों का मन मोह रहा है।
वहीं समिति के द्वारा बच्चों का डांस प्रतियोगिता सहित नवमी के दिन बाहर से आए कलाकारों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग पंहुच कर सांस्कृतिक कार्यक्रम का लुत्फ उठाते हैं। वहीं मंदिर परिसर में रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग आतिशबाजी एवं रावण दहन का कार्यक्रम देखने को उत्सुक नजर आते हैं।
सुंदरम केशरी की रिपोर्टर
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