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Ranchi : आजसू पार्टी का 39वां बलिदान दिवस आज खेलगांव स्थित टाना भगत इंदौर स्टेडियम में बड़े ही गरिमामय माहौल में मनाया गया। इस अवसर पर पार्टी सुप्रीमो और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। उनके साथ मंच पर पार्टी के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी, पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस, पूर्व विधायक सुनीता चौधरी और लम्बोदर महतो समेत हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक उपस्थित थे।
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यह दिन केवल आजसू के लिए नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के लिए गौरव का दिन
बलिदान दिवस समारोह में सुदेश महतो ने झारखंड आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को याद करते हुए शहीद आंदोलनकारियों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उन्होंने कहा, मैं इस मंच से उन सभी वीर आंदोलनकारियों को नमन करता हूं, जिनका बलिदान झारखंड राज्य के निर्माण का आधार बना। यह दिन केवल आजसू के लिए नहीं, बल्कि पूरे झारखंड के लिए गौरव का दिन है।
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उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बाद देश का सबसे बड़ा और लंबा आंदोलन था। इसमें न केवल झारखंड बल्कि बंगाल और उड़ीसा के लोगों का भी अहम योगदान रहा। उन्होंने कहा-आज का क्षण आंदोलनकारियों के सम्मान में सर झुकाने का है। आज का झारखंड उन्हीं संघर्षों की उपज है।
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Breaking : रैंप वॉक की तरह चल रही सरकारें
सुदेश महतो ने वर्तमान राजनीतिक हालात पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज का दौर सोशल वर्क का नहीं, सोशल मीडिया का बन गया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की व्यवस्था को ड्रामा बना दिया गया है। सरकारें आज रैंप वॉक की तरह चल रही हैं, जैसे कोई फिल्मी हीरो हो। ऐसे में झारखंड को उसकी वास्तविक राजनीतिक दिशा देने की जरूरत है।
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असली आंदोलनकारियों को उनका हक दिलाकर रहेंगे
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वर्तमान सरकार उनके सामने टिक नहीं सकती और उनकी लड़ाई सिर्फ सत्ता प्राप्ति की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और असली आंदोलनकारियों को उनका हक दिलाने की है। सुदेश महतो ने झारखंड आंदोलन की तुलना 1986 से 2000 तक के संघर्ष से करते हुए कहा कि उस दौर में झारखंड का कोई विधायक या सांसद नहीं था, लेकिन संकल्प था, जो आज फिर से दोहराने की जरूरत है।
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उन्होंने आंदोलनकारी आयोग को भी कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक ‘दुकान’ बनकर रह गया है। “झारखंड आज भी अपना परिचय तलाश रहा है, जबकि जिन लोगों ने इसके लिए लड़ाई लड़ी, वे हाशिए पर हैं।” सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गुरुजी शिबू सोरेन से आग्रह किया कि वे झारखंड के असली आंदोलनकारियों की पहचान सुनिश्चित कर उन्हें सम्मान दें।
सौरव सिंह की रिपोर्ट–
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