Dhanbad: जिले के हीरापुर इलाके में बुधवार को एक पुराने संपत्ति विवाद मामले में कोर्ट के आदेश के बाद प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। धनबाद सिविल कोर्ट ने जमीन और मकान मालिक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए भाड़े पर दी गई पांच दुकानों को खाली कराने और सील करने का आदेश दिया था। आदेश का पालन करते हुए मजिस्ट्रेट और धनबाद सदर थाना पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंचकर कार्रवाई पूरी की।
क्या है पूरा मामलाः
जानकारी के अनुसार पांच साल पुराना है। हीरापुर निवासी भगवान सिंह ने 2000 में यह संपत्ति खरीदी थी। उस समय इस जमीन और मकान में कई दुकानें पहले से ही किरायेदारों के कब्जे में थी। भगवान सिंह ने जमान खरीदने के बाद दुकानदारों से भाड़ा बढ़ाने और भुगतान नियमित करने की बात कही, लेकिन इसको लेकर विवाद शुरू हो गया।
भगवान सिंह ने बताया कि जब किरायेदारों ने भुगतान से इनकार कर दिया और दुकान खाली करने से मना किया, तो मामला अदालत में पहुंचा। 2019 से यह केस सिविल कोर्ट में चल रहा था। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अदालत ने मकान मालिक भगवान सिंह के पक्ष में फैसला सुनाया और किरायेदारों को पांच दुकानें खाली करने का आदेश दिया।
कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाईः
बुधवार को कोर्ट के निर्देशानुसार मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में प्रशासनिक टीम हीरापुर स्थित विवादित स्थल पर पहुंची। टीम के साथ धनबाद सदर थाना पुलिस, राजस्व कर्मी और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। निर्देशानुसार पांचों दुकानों को खाली कराया गया और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में दुकानें सील कर दी गई। कार्रवाई के दौरान कुछ किरायेदारों ने इसका विरोध किया और जमकर हंगामा किया। स्थिति बिगड़ती देख पुलिस को बल प्रयोग किए बिना सख्ती से भीड़ को नियंत्रित करना पड़ा। महिला दुकानदारों की मौजूदगी के कारण महिला पुलिस बल को भी बुलाना पड़ा।
पुलिस और प्रशासन की भूमिकाः
सदर थाना प्रभारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन कराते समय किसी प्रकार की कानूनी गड़बड़ी नहीं होने दी गई। पूरे क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था। मजिस्ट्रेट की देखरेख में पूरी कार्रवाई लगभग दो घंटे तक चली। पांचों दुकानों को सील करने के बाद प्रशासनिक टीम ने कब्जा रिपोर्ट तैयार की और संपत्ति मालिक को सुपुर्दगी प्रमाणपत्र सौंपा।
जमीन मालिक की प्रतिक्रियाः
मालिक भगवान सिंह ने कहा कि यह मामला कई सालों से अदालत में लंबित था। मैंने यह संपत्ति 2000 में खरीदी थी। उस समय दुकानें पहले से किराये पर थीं। मैंने सिर्फ किराया बढ़ाने की बात की थी, लेकिन किरायेदारों ने इसे विवाद बना दिया। अंत अदालत ने मुझे न्याय दिया है। उन्होंने कहा कि अभी भी 6दुकानें किरायेदारों के कब्जे में हैं, जिन पर एक अलग सिविल केस चल रहा है।
मौके की स्थिति और लोगों की प्रतिक्रियाः
मौके पर मौजूद स्थानीय लोगों ने बताया कि दुकानों को खाली कराए जाने के दौरान माहौल तनावपूर्ण था। कुछ दुकानदारों ने अपने सामान बाहर निकालने से इनकार कर दिया। जिसके बाद पुलिस की मदद से जबरन निकासी कराई गई। हालांकि कार्रवाई के दौरान किसी बड़ी झड़प या तोड़फोड़ की घटना की सूचना नहीं मिली।
रिपोर्टः अनिल पांडे
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