बोकारोः आजादी के 75वें वर्ष पर हम भले की आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं, लेकिन इस आजादी से निकला ‘अमृत’ शहरों के चकाचौंध में भटक गया, चन्द मुट्ठी भर वाचाल समूह इस अमृत को गटक गयें और आमजनों को मिलता रहा आश्वासनों का ढेर।
हालात यह है कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी बोकारो का बेलडीह पंचायत के सुंदरो, धधकीटांड, आमटांड और पेरवाटांड के करीबन तीन हजार की आबादी आज भी बांस पुल का बना कर गोपालपुर जाने को मजबूर है।
आपको बता दें कि गोपालपुर और सुदरो के बीच इजरी नदी पर ग्रामीण बांस का पुल बनाकर आवागमन कर रहे हैं। हर बरसात में बांस का पुल नदी में बह जाता है। लेकिन ग्रामीणों की जीविषिका का कमाल है कि हर बरसात के बाद वे पुल को फिर से खड़ा करते है। कभी भी हादसा हो सकता है। ग्रामीण कहते है कि आजादी के बारे में हम नहीं जानते, पर इतना जरुर जानते हैं कि हमारी नियती में कोई बदलाव नहीं आया। हमारे बाप-दादा की दुनिया से हम बाहर नहीं जा सके। कई बार तो कई बाइक सवार व स्कूली छात्र नदी में गिर कर घायल हो चुके हैं। सरकार शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है।
रिपोर्टः चुमन