Desk. भारत के खनन क्षेत्र में हरित प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड लिमिटेड को सस्टेनेबिलिटी सिम्पोजियम एंड एक्सीलेंस अवॉर्ड्स 2025 के तीसरे वार्षिक संस्करण में ‘जूरी चॉइस लीडरशिप इन क्लाइमेट एक्शन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान बुधवार को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया, जिसमें देशभर की अग्रणी कंपनियों ने अपनी पर्यावरणीय पहलों को प्रस्तुत किया। अदाणी एंटरप्राइजेज को यह पुरस्कार भारत में खनन लॉजिस्टिक्स के लिए हाइड्रोजन ट्रक के सफल उपयोग के लिए मिला, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हरित ऊर्जा को अपनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
यह ट्रक डीज़ल की जगह हाइड्रोजन ईंधन से छत्तीसगढ़ में संचालित है। ट्रक में लगे तीन हाइड्रोजन टैंक की ऊर्जा से वह 40 टन माल को 200 किलोमीटर तक ढोने की क्षमता रखता है, जिससे ध्वनि और प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी होती है। इस ट्रक को मई में छत्तीसगढ़ के रायपुर में राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था। यह ट्रक सरकार की गारे पेलमा III खदान से पावर प्लांट तक कोयला परिवहन के लिए उपयोग किया जा रहा है।
यह परियोजना का संचालन अदाणी एंटरप्राइजेज को छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड से निविदा प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त हुआ था। अवार्ड की जूरी ने विशेष रूप से इस पहल की तकनीकी नवाचार क्षमता, ऊर्जा दक्षता, और ग्रीन लॉजिस्टिक्स में अदाणी समूह के योगदान की सराहना की। यह पुरस्कार अदाणी एंटरप्राइजेज की पर्यावरणीय नेतृत्व और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को मान्यता देता है।
उल्लेखनीय है कि अदाणी एंटरप्राइजेज खनन क्षेत्र में न्यूनतम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ मॉडल माइंस विकसित कर रहा हैं। हाइड्रोजन ट्रक के साथ-साथ कंपनी ऑटोनॉमस डोज़र पुश टेक्नोलॉजी, सोलर पावर, डिजिटल इनिशिएटिव्स और ट्री ट्रांसप्लांटर जैसी तकनीकों को भी अपना रहे हैं, ताकि स्थायी खनन की नई मिसाल कायम की जा सके।
अदाणी एंटरप्राइजेज का उद्देश्य है भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना, पारंपरिक ईंधनों पर निर्भरता कम करना और स्वच्छ ऊर्जा की ओर देश को अग्रसर करना। कंपनी भविष्य में और हाइड्रोजन ट्रकों को शामिल करने की योजना बना रही है, जिससे लॉजिस्टिक्स का ढांचा और अधिक पर्यावरण-अनुकूल बन सके।