Jamui-जमुई की सीमा- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपनी पढ़ाई पूरी करने में सहयोग करने की मांग और आईएस बनने का सपना को सार्वजनिक कर बिहार में सनसनी बॉय बन कर सामने आये सोनू के बाद बिहार से ही एक दूसरी कहानी सामने आयी है. यह कहानी है नक्सल प्रभावित खैरा प्रखंड के फतेपुर गांव के 10 वर्षीय सीमा की. दो वर्ष पहले एक हादसे में सीमा को अपनी पैर कटवानी पड़ी थी.
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लेकिन इस हादसे ने सीमा का पैर भले ही छीन लिया हो, लेकिन उसके सपनों की उड़ान का पैर नहीं कतर सका. उसके अन्दर एक शिक्षक बनने का जुनून और बढ़ता ही गया. यही जुनून है कि सीमा अपने एक पैर से प्रति दिन एक किलोमीटर की दूरी तय कर स्कूल जाती है.सीमा बड़े ही आत्मविश्वास भरे लहजे में कहती है कि एक दिन शिक्षक बन कर अपने आस पास के दूसरे बच्चों को पढ़ाउंगी, उन्हे अच्छा तालिम दूंगी.
सीमा के सपनों की नहीं है कोई सीमा

सीमा के पिता खिरन मांझी एक खेतीहर मजदूर है, उनकी आजीविका का कोई साधन नहीं है, वह अपनी बेटी को ट्राई साईकिल खरीद कर दे सके. उसकी दूसरी जरुरतों को पूरा कर सके.
खिरन मांझी कहते हैं कि आजीविका की हालत यह है कि सप्ताह में कभी काम मिल जाता है, तो कभी हफ्तों काम मिलने के इंतजार में घर पर बैठना पड़ता है, जर जमीन भी नहीं है. लेकिन मेरी बेटी सीमा के सपनों की कोई सीमा नहीं है.
रिपोर्ट- शक्ति