सिमडेगाः साल की शुरुआत के साथ आदिवासियों का मुद्दा फिर गरमाने लगा है। आदिवासियों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गये हैं। आदिवासियों का ये मुद्दा डीलिस्टिंग का है। डीलिस्टिंग के मुद्दे को हवा तब ज्यादा मिली थी जब रांची में जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले उलगुलान आदिवासी डीलिस्टिंग रैली का आयोजन 24 दिसंबर को हुआ था।
अब डीलिस्टिंग के मुद्दे को लेकर बीजेपी पर कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस नेता बंधु तिर्की के बाद विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने भी डीलिस्टिंग के खिलाफ आवाज उठाई है। कांग्रेस विधायक ने कहा कि BJP-RSS साजिश के तहत आदिवासियों को लड़वा रही है।
धर्मांतरण’ के षडयंत्र के ख़िलाफ़ ये एक संगठित मुहीम है
डीलिस्टिंग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच का मानना है कि आदिवासी-जनजाति की एक बड़ी आबादी के साथ किये जा रहे ‘धर्मांतरण’ के षडयंत्र के ख़िलाफ़ ये एक संगठित मुहीम है जिसका मुख्य एजेंडा ही है कि-ईसाई-इस्लाम अथवा अन्य किसी धर्म में धर्मांतरण करने वाली आदिवासी आबादी को मिल रहे आरक्षण समेत तमाम संविधानिक सुविधाओं को ख़त्म किया जाए।
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अब कांग्रेस विधायक ने डीलिस्टिंग का जवाब सरना धर्म की मांग के साथ दिया है। कांग्रेस विधायक ने साफ कहा कि विज्ञान जब आगे बढ़ रहा है तो धर्म परिवर्तन से कैसे आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा सकता है।
डीलिस्टिंग पर सियासत उस वक्त हो रही है जब सेंगेल अभियान के जरिये आदिवासी नेता सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति से सरना धर्म कोड को मान्यता देने के लिए अल्टीमेटम दे रखा है। यानि झारखंड की सियासत आने वाले दिनों में डीलिस्टिंग और सरना धर्म कोड पर जोर पकड़ सकती है।