Monday, September 8, 2025

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Breaking : रघुवर दास का हेमंत सरकार पर बड़ा हमला, पेसा कानून लागू न करने को लेकर उठाए ये गंभीर सवाल…

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Ranchi : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक बार फिर झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा है। प्रेस वार्ता के दौरान रघुवर दास ने पेसा कानून को लेकर सरकार की निष्क्रियता पर गहरी चिंता जताई और तीखे सवाल दागे। उन्होंने कहा कि पेसा कानून 1996 में भारत सरकार द्वारा लागू किया गया था, जिसके तहत देश के विभिन्न राज्यों में ग्राम स्वशासन का अधिकार दिया गया है। मगर आज तक झारखंड में इस कानून को प्रभावी रूप से लागू नहीं किया गया, जो राज्य के आदिवासी समाज के साथ अन्याय है।

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Breaking : किसके डर से पेसा कानून लागू नहीं हो रहा है-रघुवर दास

रघुवर दास ने कहा कि झारखंड के आदिवासी समाज ने स्वतंत्रता संग्राम और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए बहुत बलिदान दिया है। भगवान बिरसा मुंडा का “अबुआ राज, अबुआ शासन” का सपना आज भी अधूरा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब राज्य सरकार को विधि विभाग, महाधिवक्ता और पंचायती राज विभाग से सहमति मिल चुकी है, तो कौन-सी बाधा है जो पेसा कानून को लागू नहीं किया जा रहा है?

इतिहास हेमंत सोरेन को माफ नहीं करेगा-रघुवर दास

पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह विदेशी धर्म मानने वाले समूहों के दबाव में आकर पेसा कानून लागू करने से पीछे हट रही है। उन्होंने यह भी कहा कि 1996 में जब यह कानून आया था, तब इन विदेशी तत्वों ने आदिवासी समाज को गुमराह करने के लिए “आदिवासी म्यूजियम मंच” जैसा मंच खड़ा किया था। दास ने आरोप लगाया कि इन्हीं ताकतों ने कांग्रेस और वर्तमान सरकार में भी अपनी पैठ बना रखी है और वोट बैंक की राजनीति के तहत सरकार उनकी बातों में आकर आदिवासी हितों की अनदेखी कर रही है।

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उन्होंने यह भी कहा कि पेसा कानून के लागू होने से पंचायतों को अधिकार मिलेंगे, जिससे बालू और कोयला जैसे संसाधनों पर नियंत्रण ग्रामसभाओं को मिलेगा। इसी डर से सिंडिकेट से जुड़े लोगों को खतरा महसूस हो रहा है और वे नहीं चाहते कि आदिवासी समाज को असली अधिकार मिले।

इस सरकार से झारखंड की जनता को कोई उम्मीद नहीं है

रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल पूछा कि एक सरना मुख्यमंत्री होकर भी आप क्यों आदिवासी समाज के हक के लिए खड़े नहीं हो पा रहे? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2019 में सत्ता में आने के बाद हेमंत सरकार ने जाति प्रमाण पत्र में से धर्म का कॉलम हटा दिया, जो आदिवासी पहचान को कमजोर करता है। उन्होंने मांग की कि धर्म का कॉलम फिर से जोड़ा जाए ताकि आदिवासी युवाओं को उनका वास्तविक हक और पहचान मिल सके।

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प्रेस वार्ता के अंत में दास ने जोर देकर कहा कि पेसा कानून लागू करना सिर्फ कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता, स्वशासन और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा। सरकार को चाहिए कि वह वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर आदिवासी हितों को प्राथमिकता दे और जल्द से जल्द पेसा कानून को लागू करे।

सौरव सिंह की रिपोर्ट–

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