रांची: झारखंड आंदोलन के पुरोधा और आदिवासी समाज के पथप्रदर्शक गुरुजी शिबू सोरेन को अंतिम विदाई देने पहुंचे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन भावुक हो उठे। जैसे ही उन्होंने गुरुजी के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन किए, उनकी आंखें छलक पड़ीं और वे फफक कर रो पड़े।
दिशोम गुरु के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए चंपई सोरेन ने कहा,
“ गुरु शिबू सोरेन जी के निधन की दुखद सूचना से मैं शोकाकुल हूं। मरांग बुरू उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक पूरे युग का अंत है।”
उन्होंने गुरुजी के साथ बिताए संघर्षपूर्ण दिनों को याद करते हुए कहा कि झारखंड आंदोलन के दौरान पहाड़ों, जंगलों और दूर-दराज के गांवों से लेकर विधानसभा तक का हर एक पल आज भी ताजा है। चंपई सोरेन ने कहा
“महाजनी प्रथा और नशे के खिलाफ जिस प्रकार गुरुजी ने आदिवासियों, मूलवासियों और शोषित-पीड़ित जनता के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने भावनात्मक स्वर में यह भी कहा कि
“गुरुजी सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनके आदर्श और सोच हमेशा झारखंड की राजनीति और समाज को दिशा देते रहेंगे। उन्होंने यह भी संकल्प लिया कि झारखंड की आम जनता के हितों की रक्षा के लिए जो संघर्ष गुरुजी ने शुरू किया था, वह जारी रहेगा।”
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