डिजीटल डेस्क : सुर्खियों में चिन्मय दास, उनकी रिहाई की मांग करने वालों पर बांग्लादेशी पुलिस ने जमकर बरसाईं लाठियां। बीते सोमवार को बांग्लादेश में पुलिस की जासूसी शाखा ने जिन इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया और कोर्ट के आदेश पर जेल भेजा, उन संत चिन्मय दास की चर्चा अब सुर्खियों में है।
उनकी रिहाई की मांग कर रहे लोगों को बांग्लादेशी पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाई और प्रदर्शनकारी अल्पसंख्यक हिंदुओं पर कई स्थानों पर हिंसक हमले भी हुए हैं। भारत ने पूरे हालात पर गंभीर चिंता जताई तो पूरी दुनिया का ध्यान बांग्लादेश के संत चिन्मय दास प्रकरण पर गया है।
चिन्मय दास के जेल जाने से बांग्लादेश में हालात बिगड़ने की आशंका
बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना की तख्तापलट के बाद से बीते कुछ महीनों में हिंदू समुदाय के खिलाफ भेदभाव और हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। उस पर संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने संज्ञान लिया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसका जिक्र कर चुके हैं।
अब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के एक मुखर आवाज बने संत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु के गिरफ्तारी, जमानत अर्जी कोर्ट में खारिज होने और जेल भेजे जाने से वहां के हालात बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
उनकी रिहाई को लेकर प्रदर्शन करने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हिंसक हमले किए जाने एवं दमनात्मक कार्रवाई वाले वीडियो और फोटो भी लगातार सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं।


चटगांव के पुंडरिक धाम से जुड़े चिन्मय दास बांग्लादेश में हैं इस्कॉन के प्रवक्ता…
बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर के रूप में अपनी पहचान रखने वाले चटगांव का भारतीय बंगाल, असम और त्रिपुरा के लोगों से गहरा नाता माना जाता है। चिन्मय दास उसी चटगांव से संचालित होने वाले पुंडरिक धाम का नेतृत्त्व करते हैं।
बांग्लादेश में अब अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के प्रमुख चेहरा बन चुके चिन्मय दास इस्कॉन के प्रवक्ता के तौर भी जाने जाते हैं। उनके अनुयायी पूरे बांग्लादेश में हैं और पुंडरिक धाम भी बांग्लादेश इस्कॉन का ही हिस्सा है।
बांग्लादेश की आबादी में करीब 8 फीसदी हिस्सेदारी अल्पसंख्यक हिंदुओं की है। बांग्लादेश में इस्कॉन के 77 से अधिक मंदिर हैं और करीब 50 हजार लोग इस संस्था से जुड़े हुए हैं।


इस्कॉन के चिन्मय दास पर बांग्लादेशी पुलिस ने इसलिए दर्ज किया राजद्रोह का केस…
बांग्लादेश की राजधानी ढाका और उससे सटे हुए शाहबाग के इलाके में इस्कॉन के प्रवक्ता चिन्मय दास की रिहाई को लेकर लोग सड़कों पर उतरे लोगों पर दमनात्मक कार्रवाई जारी है। इस पूरे प्रकरण में अब बांग्लादेश समेत पूरी दुनिया में इस्कॉन प्रवक्ता संत चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ दर्ज हुए मामलों की जानकारी जुटाई जाने लगी है।
बीते सोमवार को ढाका एयरपोर्ट से खुफिया विभाग के अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। ढाका पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि चिन्मय दास की गिरफ्तारी उनके खिलाफ दायर एक शिकायत के आधार पर की गई है जिसमें उनपर बांग्लादेश के राष्ट्र ध्वज को अपमानित करने के आरोप हैं।
चिन्मय दास पर ये आरोप पूर्व बीएनपी नेता फिरोज खान ने लगाए हैं और कहा है कि 25 अक्टूबर को चटगांव में हिंदू समुदाय की एक रैली हुई थी। वहीं पर संत चिन्मय दास और दूसरे 18 लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अनादर किया।
दिलचस्प बात ये है कि तब बीएनपी के नेता रहे फिरोज खान आरोप लगाने के कुछ ही दिनों के बदा पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बीएनपी से बाहर हो गए जबकि बांग्लादेशी पुलिस उस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया।
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद से ही संत चिन्मय दास ने हिंदूओं और दूसरे अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों की मुखर निंदा की।
अपने बयान में चिन्मय दास ने बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार के मुखिया प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की आलोचना भी की थी और कहा था कि यूनुस की सरकार अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए करीब 3 हजार हमले को रोकने में नाकाम साबित हुई है।
बीते सोमवार को चिन्मय दास राजधानी ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अपराह्न साढ़े 3 बजे पहुंचे थे। वह चटगांव जा रहे थे। तभी वहां सादे वर्दी में कुछ लोगों ने खुद को खुफिया विभाग का सदस्य बताते हुए एयरपोर्ट में एंट्री ली और उनको अपने साथ अज्ञात स्थान को ले गए।
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