Thursday, July 3, 2025

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हर वर्ष बाढ़ से बेहाल होता है बिहार, दंश झेल रहे पीड़ित तैयारियों में जुटे

भागलपुर : बिहार और बाढ़ का पुराना नाता है। गंगा व कोसी नदी का रौद्र रूप बिहार को हर वर्ष रुलाता है। नदी किनारे के सटे गांव में गंगा व कोसी का पानी तबाही बनकर आता है। सैकड़ों मकान पानी...

भागलपुर : बिहार और बाढ़ का पुराना नाता है। गंगा व कोसी नदी का रौद्र रूप बिहार को हर वर्ष रुलाता है। नदी किनारे के सटे गांव में गंगा व कोसी का पानी तबाही बनकर आता है। सैकड़ों मकान पानी में डूब जाते हैं। आवागमन बाधित हो जाता है, लोग पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। दो महीने तक हालात भयावह बने रहते हैं। सरकार की ओर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मदद पहुंचाई जाती है लेकिन अस्थाई तौर पर इसका निराकरण कभी नहीं किया जाता है।

सबौर प्रखंड के रजंदीपुर गांव की बात करें तो वह हर वर्ष बाढ़ का दंश झेलता है
भागलपुर के सबौर प्रखंड के रजंदीपुर गांव की बात करें तो वह हर वर्ष बाढ़ का दंश झेलता है। इलाके में रिंग बांध के निर्माण की बात कई बार हुई लेकिन जमीनी स्तर पर काम कभी नहीं हुआ। हालत यह है कि बाढ़ से इलाके की अब तक हजारों बीघा जमीन कट गई है। किसान हलकान है। इस वर्ष फिर जिले में बाढ़ की आशंका है। इसको लेकर एक तरफ जहां सरकार और जिला प्रशासन की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है।
गंगा और कोसी नदी के किनारे बसे लोग भी बाढ़ को लेकर तैयारी में जुट गए हैं
वहीं, गंगा और कोसी नदी के किनारे बसे लोग भी बाढ़ को लेकर तैयारी में जुट गए हैं। सबौर प्रखंड के रजंदीपुर गांव में ग्रामीण नाव बनाने का काम कर रहे हैं। बाढ़ का पानी आने के बाद लोगों के आवागमन का एक ही सहारा रहता है। वह है नाव जिसको लेकर ग्रामीण अभी से नाव बनाने में जुट गए हैं। 40 हजार से लेकर छह लाख तक खर्च कर खुद से ही नाव तैयार कर रहे हैं। पिछले दो महीने से काम चालू है और अभी और 20 से 25 दिन का वक्त लगेगा। जामुन और सखुआ के लड़की से नाव तैयार किया जा रहा है। जिसके दो मिस्त्री काम कर रहे हैं और कई लोग उनकी मदद में लगे हैं।

हर साल यही हालात रहते हैं कोई बदलाव नहीं हुआ - किसान
किसान बताते हैं कि हर साल यही हालात रहते हैं कोई बदलाव नहीं हुआ। खेती की जमीन कट गई सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। 20 साल से रिंग बांध बनाने की बात हो रही है लेकिन काम शुरू नहीं हुआ। इस बार तो बस्ती और मकान भी कटने की आशंका है। हमलोग 12 घंटे की मेहनत कर नाव तैयार कर रहे हैं। इसको बनाने में छह लाख का खर्च आया है। इस पर करीब डेढ़ सौ लोग सफर कर सकेंगे। बाढ़ के समय या बहुत ही ज्यादा मददगार होगा।

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राजीव रंजन की रिपोर्ट