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Ranchi : झारखंड में पेसा कानून को लेकर भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बीच सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा हेमंत सरकार पर लगाए गए आरोपों का झामुमो ने कड़ा प्रतिवाद करते हुए भाजपा को घेरने की कोशिश की है। पार्टी के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि “रघुवर दास और भाजपा आदिवासी समाज के मुद्दों पर केवल राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहते हैं, न कि समाधान देना।”
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Jharkhand Politics : रघुवर दास को पेसा कानून की याद अब क्यों आ रही है?
विनोद पांडेय ने सवाल उठाते हुए कहा कि रघुवर दास को पेसा कानून की याद अब क्यों आ रही है? उन्होंने कहा कि रघुवर दास बताएं कि 2014 से 2019 तक सत्ता में रहने के बावजूद उनकी सरकार ने पेसा नियमावली क्यों नहीं बनाई? “यदि आदिवासी हितों की इतनी ही चिंता थी, तो भाजपा सरकार ने उस समय क्यों कोई ठोस कदम नहीं उठाया?”
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उन्होंने कहा कि भाजपा ने राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभा में आदिवासी धर्म कोड या पेसा कानून के लिए कोई पहल नहीं की। इसके उलट, पार्टी आदिवासियों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों पर बार-बार हमला करती रही है। पांडेय ने तीखे लहजे में कहा “भाजपा को आदिवासियों के स्वशासन से नहीं, सत्ता से मतलब है,”।
भाजपा को आदिवासियों के स्वशासन से नहीं, सत्ता से मतलब है
झामुमो प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासी समाज के वास्तविक प्रतिनिधि हैं और पेसा कानून की भावना को समझते हैं। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार पेसा नियमावली को लेकर गंभीर है और सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा कर अंतिम चरण में पहुंच चुकी है।
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उन्होंने भाजपा पर आदिवासी समाज को धर्म के नाम पर बांटने का आरोप लगाते हुए कहा, “भाजपा आज पेसा कानून को धर्म की चादर में लपेटकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश कर रही है। यह वही भाजपा है जो आदिवासियों को ईसाई बताकर उनके अस्तित्व पर सवाल खड़ा करती रही है।”
भाजपा के पास अब झूठ फैलाने के अलावा कोई मुद्दा नहीं बचा है
विनोद पांडेय ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ही वह पार्टी है जिसने झारखंड राज्य की नींव रखी और आदिवासी अस्मिता की लड़ाई लड़ी। “हमने न केवल सरना कोड की मांग को विधानसभा में प्रस्ताव के रूप में पारित कर केंद्र सरकार को भेजा, बल्कि देशभर में आदिवासी धर्म को मान्यता दिलाने के लिए आंदोलन भी चलाया,”।
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उन्होंने कहा कि भाजपा के पास अब झूठ फैलाने के अलावा कोई मुद्दा नहीं बचा है, क्योंकि हेमंत सरकार हर मोर्चे पर आदिवासी हितों को प्राथमिकता दे रही है। “भाजपा को पहले आत्मचिंतन करना चाहिए कि उन्होंने अपने शासन में क्या किया। आज जब आदिवासी समाज को अधिकार मिल रहे हैं, तो भाजपा को तकलीफ हो रही है,” उन्होंने जोड़ा।
अंत में पांडेय ने कहा, “आदिवासी समाज अब जागरूक हो चुका है। वह जानता है कि उसके अधिकारों की सच्ची लड़ाई कौन लड़ रहा है। भाजपा की राजनीति अब नहीं चलने वाली।”
मदन सिंह की रिपोर्ट—
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