Seraikela-फांसी के फंदे पर झुला नाबालिग- थाना परिसर स्थित बालमित्र कक्ष में एक नाबालिग के द्वारा बेल्ट के
सहारे फांसी का फंदा पर झुलने की खबर आयी है. मामले की जानकारी मिलते ही एसपी आनंद प्रकाश,
एसडीपीओ हरविंदर सिंह और गम्हरिया थाना प्रभारी राजीव कुमार सिंह देर रात सरायकेला थाना पहुंचे
और मामले की जांच शुरु कर दी.
बेल्ट के सहारे फांसी के फंदे पर झुला नाबालिग
एसपी आनंद प्रकाश ने बताया कि सरायकेला लौटने पर थाना प्रभारी ने पुलिस कस्टडी में एक युवक की मौत होने की सूचना मिली.
जिसके बाद घटनास्थल पर पहुंच पूरे मामले की जांच की,
और सरायकेला सीओ की मौजूदगी में पंचनामा कराया गया.
साथ ही मामले की जानकारी मृतक के परिजनों को दे दी गयी है
बताया जा रहा है कि बीते 26 अक्टूबर को सरायकेला थाना
अंतर्गत गोहिरा की रहने वाली एक नाबालिग के परिजनों ने थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी.
27 अक्टूबर को युवती को उसके कथित प्रेमी मोहन मुर्मू के साथ परिजन थाने लेकर पहुंचे,
युवक को पुलिस को सौंप दिया गया, जबकि युवती को परिजन अपने साथ वापस घर ले गए.
बगैर किसी वरीय पदाघिकारी के शव को फांसी के फंदे से क्यों उतारा गया
तीन दिन बाद नाबालिग ने लगाया फांसी
इस बीच युवक के परिजनों के आने तक उसे थाने में ही रखा गया.
जहां 3 दिन बाद युवक ने बालमित्र कक्ष में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.
हालांकि युवती के परिजनों ने युवक के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं कराया है.
बावजूद इसके युवक को हिरासत में तीन दिनों तक रखा गया
वह भी बगैर किसी सुरक्षा मानक के.
थाना हाजत में शरीर में वस्त्र के अलावा किसी वस्तु को रहे की अनुमति नहीं होती,
लेकिन फिर नाबालिग को बेल्ट पहनकर हाजत में रहने की अनुमति क्यों दी गयी
सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि
बगैर वरीय पदाधिकारियों के शव को फंदे से क्यों उतारा गया.
यदि उतारा भी गया तो उसे अस्पताल
क्यों नहीं ले जाया गया.
सवालों के घेरे में है पुलिस की भूमिका
ऐसे कई सवाल हैं जिसको लेकर पुलिस की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है,
यहां गौर करने वाली बात यह है कि
जब युवती के परिजनों ने किसी प्रकार की कोई शिकायत ही दर्ज नहीं कराई
तो थाने में क्यों रखा गया था.
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