नई दिल्ली: 7 मई 2025 की सुबह भारतीय सशस्त्र बलों ने एक ऐतिहासिक सैन्य अभियान — ऑपरेशन सिंदूर — को अंजाम दिया, जिसके तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में फैले जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के नौ आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट कर दिया गया। यह ऑपरेशन 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी।
इस हमले की जिम्मेदारी भले ही द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, लेकिन भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसके तार सीधे जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) से जुड़े पाए। इसके बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई, जो ‘सर्जिकल स्ट्राइक 2.0’ के रूप में देखी जा रही है।
सूत्रों के मुताबिक, इस अभियान में भारतीय सेना ने विशेष प्रकार के क्रूज मिसाइलों का प्रयोग किया, जिनकी रेंज 250 से 600 किलोमीटर तक थी। सबसोनिक गति (Mach 0.8 यानी करीब 1000 किमी प्रति घंटे) से चलने वाले इन मिसाइलों में अत्याधुनिक मार्गदर्शन प्रणालियां थीं — जीपीएस, टेरेन रेफरेंस नेविगेशन और इन्फ्रारेड सीकर — जिसके कारण लक्ष्य पर अंतिम चरण में भी उच्चतम सटीकता बनी रही।
450 किलोग्राम के विस्फोटक वारहेड से लैस ये मिसाइलें बेहद कम ऊंचाई (100-130 फीट) पर उड़ती रहीं ताकि दुश्मन के रडारों की पकड़ में न आएं। लक्ष्य के करीब पहुँचते ही ये 6,000 मीटर तक ऊंचाई पर गईं और फिर सीधी गोता लगाकर आतंकी शिविरों को नष्ट कर दिया।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की नई रणनीति — “कम समय में, अधिक घातक और सटीक प्रतिकार” — का सफल उदाहरण पेश किया है। साथ ही यह पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश है कि भारत अब आतंकी हमलों के खिलाफ रणनीतिक संयम नहीं बल्कि आक्रामक प्रतिशोध की नीति पर चल रहा है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में किसी भी नागरिक ढांचे को नुकसान नहीं पहुँचाया गया, जिससे भारत की “नो कॉलेटरल डैमेज” नीति की भी पुष्टि हुई है।
फिलहाल, पाकिस्तान की ओर से इस हमले पर तीखी प्रतिक्रिया आई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब तक संयमित रहा है। भारत ने साफ कर दिया है कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की गई है और इसका मकसद केवल आतंकवाद के ढांचे को निशाना बनाना था।