प्रकृति का महापर्व करमा परब पर सीएम हेमंत दी सुख शांति की शुभकामनाएं

Ranchi- प्रकृति का महापर्व करमा परब पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को सुख, शांति और समृधि की शुभकामना दी है.

प्रकृति का महापर्व करमा के बारे में प्रचलित है कई कहानियां

यहां बतला दें कि  करमा-धरमा से जुड़ी कई और कहानियां भी प्रचलित हैं.

कहीं-कहीं पौराणिक कथा इस तरह है कि करमा जब भगवान कर्मा की पूजा करता है,

तो उसकी पत्नी गर्म दूध से करमा के पौधों को स्नान कराती है, जिससे उसका कर्म जल जाता है.

वह गरीब हो जाता है. वहीं, उसका भाई धरमा अमीर हो जाता है क्योंकि वह तरीके से पूजा-पाठ करता है.

तब वहां जाकर करम के डाल की पुन: पूजा-अर्चना करते हैं. तब उनका करमा जाग जाता है.

रास्ते में कई स्थानों में करमा को सोना, चांदी व पैसे मिल जाते हैं. जिससे वह अमीर हो जाता है.

सुबह सभी व्रती बहनें करम राजा से भेंट करती हैं.

इसके बाद सभी बहनें एकजूट होकर विसर्जन के लिए जावा डाली को सजाती हैं.

वे कच्चे धागे से पिरोकर उड़हल फूल गेंदा फूल की मालाओं से सजाती हैं.

उसके बाद विसर्जन के लिए निकल पड़ती हैं.

उस समय करम राजा का बिछ़ुड़न का भी दु:ख होता है.

और इस तरह प्रकृति के प्रति अगाध प्रेम को छोड़ता हुआ करम राजा को नदी या तालाब में जावा डाली के साथ विसर्जित कर दिया जाता है.

झारखंड सहित कई दूसरे राज्योंं में मनाया जाता है करमा

कहीं-कहीं विसर्जन के बाद कुछ पौधों को उठाकर घर लाया जाता है.

ऐसा माना जाता है कि इनसे उपज में वृद्धि होती है, घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है.

तुलसी पीड़ा के ऊपर घर के छप्पर में तथा पिछवाड़े में

सब्जी-बागान में उन पौधों को डालकर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण होने की मंगल-कामना की जाती है.

Share with family and friends: