Tuesday, August 5, 2025

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जीवनभर साथ निभाने वाली रूपी सोरेन आज खामोश हैं, गुरुजी की अंतिम यात्रा में टूटा सबसे गहरा रिश्ता

रांची: झारखंड आज शोक की चादर में लिपटा हुआ है। गुरुजी शिबू सोरेन अब इस दुनिया में नहीं हैं, और उनके निधन से न केवल एक राजनीतिक युग का अंत हुआ है, बल्कि एक ऐसा रिश्ता भी टूट गया है जो जीवन के हर मोड़ पर अडिग रहा।

गुरुजी की अंतिम यात्रा रांची से उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़) के लिए निकल चुकी है, जहां आज शाम उन्हें पंचतत्व में विलीन किया जाएगा। लेकिन इस अंतिम यात्रा में एक चेहरा ऐसा भी है, जिसने सबका दिल तोड़ दिया — रूपी सोरेन, गुरुजी की जीवन संगिनी।

व्हीलचेयर पर बैठी रूपी सोरेन की आंखें आंसुओं से भरी थीं, लेकिन उनकी जुबान पर कोई शब्द नहीं था। उनका मौन, उस चीत्कार से कम नहीं था जो पूरे झारखंड की आत्मा में गूंजती रही। जीवन भर जिनके साथ ने संघर्ष और बलिदान की कहानियाँ लिखीं, आज वही साथी उन्हें हमेशा के लिए छोड़ गया।

पारिवारिक और राजनीतिक जीवन में शिबू सोरेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली रूपी देवी, आज गहरे दर्द में डूबी हैं। उनके मौन में आंदोलन की यादें हैं, जेल की वो रातें हैं, मंदिरों की मन्नतें हैं, और एक पत्नी का वह संबल भी है जो हर तूफान में अपने पति की ढाल बनी रही।

झारखंड के लोग आज यह महसूस कर रहे हैं कि गुरुजी भले ही शारीरिक रूप से विदा हो गए, लेकिन उनकी आत्मा, उनके विचार और उनका संघर्ष हमेशा इस राज्य की चेतना में जीवित रहेंगे।

नेमरा गांव, जहां से उन्होंने जीवन की शुरुआत की थी, आज उन्हें अपने आंचल में अंतिम बार सुलाने को तैयार है। गांव में शोक का माहौल है, हर आंख नम है, और हर दिल भारी।

रूपी सोरेन की खामोशी आज पूरे झारखंड की आवाज़ बन गई है। यह सिर्फ एक पत्नी का दुख नहीं, बल्कि पूरे राज्य का सन्नाटा है। गुरुजी का जाना सिर्फ एक पार्थिव देह का अंत नहीं, बल्कि एक विचारधारा, एक आंदोलन और एक युग का समापन है।


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