Patna– बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और कद्दावर भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने पथ निर्माण विभाग की बैठक में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ संजय यादव की मौजूदगी पर सवाल उठाया है.
सुशील मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि
“ पथ निर्माण की बैठक में भी संजय यादव मौजूद हैं। यदि वे उनके निजी सचिव भी हों तो वे वहाँ नहीं बैठ सकते। protocol के अनुसार अंत में या पीछे बैठेंगे। परंतु नीतीश जी मजबूर हैं।“
इसके पहले शैलेश यादव की उपस्थिति को मुद्दा बना चुके हैं सुशील कुमार मोदी
सुशील मोदी ने कहा कि लालू यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव जो पिछले तीन वर्षों से लगातार सुर्खियों में हैं.
उन्होंने जब मंत्री के नाते पहली बैठक बुलाई तो उसका संचालन वो खुद नहीं कर रहे थे
बल्कि उनके बहनोई शैलेश कुमार बैठक का संचालन कर रहे थे.
तेज प्रताप पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री हैं.
कल जब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुख्यमांलय में बैठक हो रही थी
तो उस बैठक का संचालन तेज प्रताप नहीं कर रहे थे .
बल्कि उनके बहनोई शैलेश कुमार कर रहे थे.
सवाल पैदा होता है कि आखिर उनके बहनोई उस बैठक में पहुंचे कैसे?
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने बहनोई को बैठक में आने की अनुमति कैसे दी? वो बैठक में प्रश्न कैसे पूछ रहे थे? ये तो शुरुआत है.
आरजेडी के जो सर्वोपरि नेता हैं लालू प्रसाद यादव वो हर चीज में हस्तक्षेप करेंगे.
इसी प्रकार की और घटनाएं बिहार की जनता देखेगी.
नीतीश कुमार को इसका जवाब देना चाहिए कि
क्या सरकारी बठकों में बहनोई दामाद को प्रवेश की अनुमति दे दी गई है.
बता दें कि गुरुवार को पटना में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की बैठक हुई थी.
इसमें विभागीय मंत्री तेज प्रताप यादव के बगल में उनके जीजा शैलेश कुमार भी बैठे दिखे थे.
शैलेश लालू प्रसाद की बड़ी बेटी व राज्यसभा सदस्य मीसा भारती के पति हैं. मीटिंग से जुड़ी तस्वीरें खूब वायरल हुईं.
काफी दिनों से बिहार की राजनीति में हाशिये पर रहे हैं सुशील मोदी
यहां यह ध्यान रहे कि एनडीए छोड़ कर नीतीश कुमार के द्वारा महागठबंधन के साथ सरकार बनाते ही
कुछ दिनों से भाजपा में हाशिये पर चल रहे सुशील मोदी की राजनीतिक सक्रियता में तेजी देखी जा रही है.
वह सरकार की कमियों पर बराबर अपनी उंगली रख रहे हैं. यहां यह भी बतला दें कि
सुशील मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी काफी अहम मानी जाती है,
लेकिन एक रणनीति के तहत भाजपा ने इ्न्हे बिहार की राजनीति से दूर रखने का फैसला किया था,
लेकिन लगता है कि बदली हुई परिस्थितियो में एक बार फिर से
सुशील मोदी को बिहार की राजनीति पर फोकस करने को कहा गया है.
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