Jamshedhpur- क्या बदले हुए हालात में सरयू राय की भी घर वापसी हो सकती है? क्या निर्वतमान मुख्यमंत्री को उसके ही विधानसभा क्षेत्र में हरा कर राजनीति को उलटा लटकाने वाले सरयू राय के मन में कोई पीड़ा या टीस है? क्या आरपीएन सिंह की तरह ही सरयू राय भी भाजपा के निशाने पर हैं या आने वाले दिनों में हो सकते हैं? क्या आर.पी.एन सिंह द्वारा पंजा को सलाम कर कमल सींचने के निर्णय के बाद सरयू राय के मन में भी कुछ सपने उछल रहे हैं?
जब इस सारे सवालों के जबाव के लिए सरयू राय के मन की थाह लेने की कोशिश की गई तो सियासत के मंजे खिलाड़ी सरयू राय ने सिर्फ इतना ही कहा कि वह घर घर कैसा जहां से आपको निकाला जाए? आपकी सूनी नहीं जाय, आपसे सुख दुख और दर्द को समझने की कोशिश नहीं की जाय, तो क्या सरयू राय अभी वक्त का इंतजार कर रहे हैं? क्या सही समय आने पर अपना पाशा फेंकेगे, देखना दिलचस्प होगा कि तब उनके पाशे से घायल कौन होता है?
लेकिन यदि हम संकेतों की बात करें तो यह कह कर सरयू राय ने एक बात तो साफ कर दी है कि आरपीएन सिंह के भाजपा में जाने से हेमंत सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला, भाजपा आरपीएन सिंह की जरुरत थी, क्योंकि उन्हे कांग्रेस में कोई भविष्य नहीं दिख रहा था.
सरयू राय ने साफ तौर पर कहा कि आज की स्थिति में झारखंड को एक स्थिर सरकार की जरुरत है, सरकार को अस्थिर करना झारखंड के हित में नहीं होगा. सरकार के गुण दोष पर विचार किया जा सकता है. लेकिन सरकार गिराने के लिए दो चार विधायक को अपने पाले में करने की कोशिश को स्वस्थ्य राजनीति नहींं कहा जा सकता. चुनाव का इंतजार कीजिए और जनता के विवेक पर भरोशा रखिए, यदि सरकार अच्छा काम नहीं करेगी तब जनता खुद ही उसे अस्वीकार कर देगी.
आया राम, गया राम पर बने नियमावली, कम से कम दो वर्ष पुराने सदस्यों को ही मिले टिकट
चुनाव के समय में नेताओं के पाला बदलने की प्रवृति पर रोक लगाने के लिए चुनाव आयोग को नियमावली निर्माण करने की सलाह दी और कहा कि हर राजनीतिक दल 31 मार्च को अपने सदस्यों की पूरी सूची चुनाव आयोग को जमा करें, और चुनाव में टिकट के लिए कम से कम दो वर्ष का पार्टी से जुड़ा रहने को अनिवार्य बनाया जाय, फिर कोई चुनाव के समय अपना पाला नहीं बदलेगा, इससे राजनीति में सुचिता आएगी.
रिपोर्ट- लाला जबीं
अरविंद केजरीवाल से सरयू राय की मुलाकात के बाद झारखंड में कयासों का बाजार गर्म