रांची: छठी विधानसभा के पहले सत्र में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहेगा। भाजपा के रुख से लगता है कि अभी समय लगेगा। क्योंकि, पार्टी में अभी इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हो रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, विधानसभा के पहले सत्र के लिए विधायकों की बैठक तो होगी, पर उसमें नेता चयन का विषय नहीं आएगा। विस का पहला सत्र 9 से 12 दिसंबर तक चलेगा। पार्टी के एक वरीय नेता ने बताया कि संगठन विधायक दल के नेता पर निर्णय लेने के मूड में अभी नहीं है। सत्र के बाद इस पर विचार होगा। सत्र प्रारंभ होने से एक दिन पहले 8 दिसंबर को प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी रांची आएंगे। लेकिन, वे सदस्यता अभियान शुरू करने को लेकर हानेवाली बैठक को संबोधित करेंगे। बैठक में प्रदेश सदस्यता प्रभारी समेत सभी प्रदेश पदाधिकारी, प्रमंडल प्रभारी, जिलाध्यक्ष, जिला प्रभारी आदि रहेंगे।
- विधायक दल के नेता के रूप में पार्टी के पास बाबूलाल मरांडी व सीपी सिंह दो नाम हैं, पर अभी इन पर विचार नहीं हुआ है।
- पार्टी किसी भी नाम की घोषणा से पहले झारखंड के संदर्भ में अपनी रणनीति स्पष्ट करना चाहती है। इसके लिए बैठक होनी है।
- घोषणा के अनुसार फरवरी में प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगनी है,
ऐसे में इसको ध्यान में रखते हुए नेता प्रतिपक्ष का चयन होना है। इन दोनों पदों में से एक पद सामान्य वर्ग के लिए हो सकता है।
- पार्टी आनेवाले 10-15 वर्षों को ध्यान में रख कर झारखंड में नेतृत्व का बागडोर किसी को देना चाहती है। ऐसे में वह कुछ समय ले रही है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। मरांडी ने झारखंड के कई ज्वलंत विषयों पर उनके साथ चर्चा की। साथ ही, उन्होंने विस चुनाव में हार कारणों के बारे में भी बताया।
हार के कारणों पर पार्टी में चल रहा मंथन
विधानसभा चुनाव में हार की पड़ताल के लिए रांची में दो दिनों तक समीक्षा बैठक चली थी। राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष बैठकों में थे। प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी भी थे। समीक्षा में सामने आए कारणों पर केंद्रीय नेतृतव मंथन कर रहा है।
2019 में भी फंसा था मामला 2019 में भी
भाजपा ने कई माह तक विधायक दल का नेता नहीं चुना था। पहले बाबूलाल मरांडी बाद में अमर बाउरी को यह पद दिया, तब स्पीकर ने मान्यता दी।
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