पटना : पटना में आयोजित हुई पत्रकार वार्ता में आज हिमाचल प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बिहार में चुनाव होने जा रहे हैं। 20 साल से सरकार यहां विपक्ष की है। नीतीश कुमार की सरकार है। उन्होंने कहा कि हम हर साल बिहार एयरपोर्ट से लौट रहे थे। 20 साल से जो लोग सत्ता में होते हैं उसमें कुछ ना कुछ व्यवस्था परिवर्तन नजर आता है। पहले भी हम बिहार आए। नीतीश सरकार को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि अभी मैं आपकी फोर लेन सड़क का हाल देख रहा था। वो फोर लेन ना होकर टू लेन है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ उनका गठबंधन है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में है। मैं इतना कहना चाहता हूं जहां 64 फीसदी लोग मात्र सात पर जीते हों वह बिहार की कहानी अपने आप बयां कर रही है।

सुक्खू ने कहा- बदलाव की जरूरत है और बदलाव हमेशा अच्छे के लिए होता है
पत्रकारों को संबोधित करते हुए सुक्खू ने कहा कि बदलाव की जरूरत है और बदलाव हमेशा अच्छे के लिए होता है। सुखू ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में जहां बात की जा रही है। मैं हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में यह कहना चाहता हूं कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है, जहां सरकारी कर्मचारी और अधिकारी, जो भी विकास की गाथा लिखी है। हिमाचल प्रदेश की सरकार ने उन्हें ओल्ड पेंशन स्कीम दी है। भाजपा की सरकार जब पिछले वर्ष थी, उस समय जब ओल्ड पेंशन स्कीम नहीं मिलती थी और एनपीएस के तहत वह लोग थे तो मात्र तीन हजार उन्हें पेंशन मिलती थी। हमने पहली ही कैबिनेट में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया और जिस सरकारी कर्मचारी और अधिकारी को महज तीन हजार और पांच हजार मिलते थे वह बढ़ गए।
‘राजनीतिक लाभ के लिए ही ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करनी होती तो हमारे चुनाव तो 2027 में थे’
अगर हमने यह राजनीतिक लाभ के लिए ही ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करनी होती तो हमारे चुनाव तो 2027 में थे। तो हम 2027 में जैसे कि बिहार की सरकार ने 10,000 महिलाओं को चुनावों से पहले डाल दिया। हम उस समय भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर सकते थे। लेकिन कांग्रेस पार्टी की हमेशा से प्रतिबद्धता रही है। राहुल गांधी की एक सोच रही है कि जो कहा है उसे करना है। इस दृष्टिकोण से हमने ओल्ड पेंशन स्कीम सरकार बनने के पहले महीने से लागू कर दी और आज 36 हजार सरकारी कर्मचारी हमारे ओल्ड पेंशन स्कीम के पात्र हैं। लागू ही नहीं की। जो नए आने वाले सरकारी नौकरियां हैं उसमें भी इसको शुरू किया गया है।
हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां दूध पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिलता है – CM
इसके अलावा हिमाचल प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां दूध पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस मिलता है। यानी कि हम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं को हमने पहचाना। हमारे किस प्रकार से हम अपने उद्योगों को डेरी उद्योग को विकसित कर सकते हैं और हमने अपने पशुपालक, जो गाय रखते हैं या भैंस रखते हैं। एक लीटर पर हिमाचल प्रदेश की सरकार, जो कृषि पशुपालक है। 51 प्रति लीटर के हिसाब से दूध की सरकार खरीद करती है। एमएसपी दिया जाता है।
हिंदुस्तान का पहला राज्य हिमाचल प्रदेश है जो दूध पर MSP देते हैं – सुखविंदर सिंह सुक्खू
इसके अलावा अगर वह दूध पालक जो दो किमी दूर से दूध लेकर आता है तो दो पर लीटर के हिसाब से उसे किराया भी दिया जाता है। हिंदुस्तान का पहला राज्य हिमाचल प्रदेश है जो दूध पर एमएसपी देते हैं। उसके बाद हमने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए हमने गेहूं का मिनिमम सपोर्ट प्राइस घोषित किया। मक्की का मिनिमम सपोर्ट प्राइस घोषित किया। जौ का मिनिमम सपोर्ट प्राइस घोषित किया और कच्ची हल्दी का मिनिमम सपोर्ट प्राइस हमने घोषित किया। गेहूं हम किसानों से 60 किलो खरीद रहे हैं। मक्की 40 किलो खरीद रहे हैं। कच्ची हल्दी हम 90 किलो खरीद रहे हैं। और जो हमारी जौ है उसको हम 40-60 किलो खरीद रहे हैं। रूलर इकॉनमी कैसे विकसित होगी?
मैं बिहार के हालात देखकर यह कह सकता हूं कि गांव का नाम लेकर किसान की आमदनी को दुगना करने की बातें तो राजनीतिक दल करते हैं – सुखू
सुखू ने कहा कि मैं बिहार के हालात देखकर यह कह सकता हूं कि गांव का नाम लेकर किसान की आमदनी को दुगना करने की बातें तो राजनीतिक दल करते हैं। हिमाचल प्रदेश में हमने इस प्रकार के दुगनी आय करने की बजाय हमने कहा कि किसान की आय ज्यादा हो और उस दृष्टिकोण से हमने एमएसपी दिया। तकरीबन आज 2,28,000 किसान हमारी जनसंख्या के अनुपात के अनुसार, प्राकृतिक खेती से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। भाई बिहार में मनरेगा के तहत काम करने वाले बहुत लोग हैं।
हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के तहत काम करने वाले बहुत कम लोग हैं – सुखविंदर सिंह सुक्खू
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मनरेगा के तहत काम करने वाले बहुत कम लोग हैं। हमने अपने संसाधनों से जहां 240 दिहाड़ी है वहां हमने उसको बढ़ाकर पिछले तीन साल में 80 की बढ़ोतरी की। 320 दिहाड़ी हमारी सरकार ने की। हमारी सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए यानी कि यहां बीघा होता है या एकड़ होती है। एक एकड़ में सोलर पावर प्रोजेक्ट लगाने के लिए चार फीसदी इंटरेस्ट पर सोलर पावर एक मेगावाट का प्रोजेक्ट लगाने के लिए अनुदान सब्सिडी देती है। ई-टैक्सी योजना अपने पर्यावरण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में हमने शुरू की।
ई-टैक्सी युवाओं को रोजगार देने के लिए हमने शुरू की – हिमाचल प्रदेश के CM
उन्होंने कहा कि ई-टैक्सी युवाओं को रोजगार देने के लिए हमने शुरू की। उसमें क्या हमने प्रावधान किया? ई-टैक्सी योजना के तहत अगर कोई अनइंप्लॉयड यूथ बेरोजगार युवा साथी हमारी योजना के तहत अगर ई-टैक्सी एक लाख की खरीदता है तो एक लाख का अनुदान हमने अपने युवाओं को दिया। उसके बाद उस युवा की गाड़ी हमने सरकारी क्षेत्र में लगाई और कहा कि 20 लाख की गाड़ी में आपको 10 लाख अनुदान देना पड़ेगा। 10 फीसदी मार्जिनल मनी देनी पड़ेगी और 10 फीसदी मार्जिनल मनी के बाद सरकार में उसकी चार साल की गारंटी है। यानी कि उसकी गाड़ी चार साल सरकार में लगेगी और अश्योर्ड मंथली इनकम 65 हजार उस युवा साथी को मिलेगी। हम सरकारी क्षेत्र से गाड़ियों को हटाकर ई-व्हीकल की तरफ ले जा रहे हैं।
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स्नेहा राय की रिपोर्ट
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